मंडीः भारतीय भोजन का अभिन्न हिस्सा हल्दी का प्रयोग अब कैंसर, दिल और न्यूरो की गंभीर बीमारियों की दवाओं में हो सकेगा. हल्दी में मौजूद न्यून आणविक भार वाले यौगिक करक्युमिन से दवा विकसित करने की बाधाओं को आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने दूर कर दिया है.
पानी में स्थिरता और घुलनशीलता की समस्याओं से पार पाते हुए शोधकर्ताओं ने एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीप्रोलिफरेटिव (सेल वृद्धि रोकने वाला) और एंटीएंजियोजेनिक (ट्यूमर के लिए आवश्यक नई खून की नलियां बनने से रोकने वाले) गुण से भरपूर करक्युमिन से दवा विकसित करने की विधि में कामयाबी हासिल की है.
अब हल्दी का न केवल एक मसाले के तौर पर बल्कि ऐलौपेथी की दवाओं में भी इस्तेमाल किया जाएगा. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी और इंडियन एसोसिएशन ऑफ द कल्टिवेशन ऑफ साइंस, कोलकाता के शोधकर्ताओं की दवा के फार्मूलों में हल्दी का औषधीय रसायन करक्युमिन डालने की नई विधि का शोध हाल में एक इंटरनेश्नल पत्रिका क्रिस्टल ग्रोथ एंड डिजाइन में प्रकाशित किया गया है.