मंडी: संचार क्रांति के मसीहा और राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पंडित सुखराम का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया है. आज वीरवार को हनुमानघाट स्थित शमशानघाट पर दिवंग्त पंडित सुखराम का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. उनके बेटों और पोतों ने पार्थिव देह को मुखाग्नि दी. इससे पहले उनकी अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा. सुबह करीब साढ़े दस बजे बाड़ी गुमाणू स्थित उनके निवास से उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई जिसमें बड़ी संख्या में परिजनों, रिश्तेदारों, नेताओं और उनके समर्थकों ने भाग लिया. पंडित सुखराम की पार्थिव देह (Funeral of Pandit Sukhram) को ऐतिहासिक सेरी मंच पर दर्शनों के लिए रखा गया जहां आम लोगों सहित (pandit sukhram antim darshan) देश भर के नेताओं ने आकर उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए.
आयुष और अर्पिता ने अपने दोनों बच्चों के साथ पंडित सुखराम को नमन कर अंतिम विदाई दी. इसके बाद पंडित सुखराम की पार्थिव देह को प्रशासन की तरफ से तिरंगा झंडा अर्पित किया गया. आयुष और आश्रय ने अपने दादा की अर्थी को कंधा दिया. सीएम जयराम ठाकुर भी श्रद्धांजलि देने यहां आए. उन्होंने पंडित सुखराम को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद उनके बेटे अनिल शर्मा और पोते आश्रय व आयुष शर्मा (Funeral of Pandit Sukhram) को सांत्वना देकर ढांढस बंधाया. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि पंडित सुखराम ने देश और प्रदेश में जो संचार क्रांति लाई है उसे देश कभी नहीं भुला सकता. हिमाचल जैसे पहाड़ी प्रदेश के गांव-गांव तक उन्होंने टेलीफोन पहुंचाया जिससे प्रदेश में संचार क्रांति की लहर आई और लोगों को संवाद करना आसान हुआ. उन्होंने कहा कि प्रदेश ने एक महान नेता खोया है जिसकी कमी कभी पूरी नहीं की जा सकती.
इस मौके पर पूर्व सीएम प्रो. प्रेम कुमार धूमल भी श्रद्धा सुमन अर्पित करने सेरी मंच पहुंचे. उन्होंने अनिल शर्मा और आश्रय शर्मा को ढांढस बंधाया. प्रो. धूमल ने कहा कि पंडित सुखराम वादे के पक्के थे. उन्होंने गठबंधन करके भाजपा की सरकार बनाने में अपना योगदान दिया था और पूरे पांच वर्षों तक सरकार को चलाने में भी सहयोग किया. हालांकि बहुत से लोगों ने उन्हें भड़काने का प्रयास किया लेकिन वो अपने वादे से कभी पीछे नहीं हटे. उन्होंने कहा कि पंडित सुखराम की कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता.