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टमाटर की खेती से मालामाल हुए किसान, 5 करोड़ से अधिक की हुई कमाई - Farmers get benefits tomato

मंडी की चच्योट तहसील के चलाहर-गुलाड गांव के किसानों के लिए टमाटर की खेती से लाभ मिल रहा है. किसान अपनी फसल पठानकोट, चंडीगढ़, हरियाणा, अमृतसर और जालंधर के एपीएमसी में अपनी उपज बेच रहे हैं.

Tomato Farming in mandi
Tomato Farming in mandi

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Published : Sep 7, 2020, 11:16 PM IST

मंडीः जिला मंडी की चच्योट तहसील के चलाहर-गुलाड गांव के किसानों के लिए टमाटर की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो रही है. यहां के 142 किसानों ने हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना से मदद पाकर वर्तमान सीजन के दौरान अपने टमाटर की उपज से लगभग 5 करोड़ 12 लाख 40 हजार रुपये की कमाई की है.

बता दें कि ये परियोजना जापान इंटरनेशनल कोर्पोरशन एजेंसी के सहयोग से लागू की गई है. मंडी जिला परियोजना प्रबंधक डॉ. नवनीत सूद ने बताया कि चलाहर गुलाड गांव में 142 किसान परिवारों हैं, जिनमें से अधिकतर किसानों ने इस खरीफ मौसम में 34.20 हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर की खेती की और प्रति बीघा 140-150 क्रेट का उत्पादन किया. टमाटर उत्पादन में किसानों को औसतन प्रति क्रेट 800 रुपये मिले, जिसमें एक क्रेट 23 किलोग्राम की थी.

ये सब्जी उत्पादक पठानकोट, चंडीगढ़, हरियाणा, अमृतसर और जालंधर के एपीएमसी में अपनी उपज बेच रहे हैं. इस परियोजना के किसानों ने वर्तमान सीजन के दौरान अपने टमाटर की उपज से लगभग 5,12,40,000 रुपए की कमाई की है.

उन्होंने कहा कि परियोजना के तहत दी गई सिंचाई सुविधाएं, किसानों को सब्जी उत्पादन का आधुनिक एवं तकनीकी ज्ञान, संग्रहण से विक्रय तक की जानकारी के कारण चलाहर गुलाड गांव के किसानों की वार्षिक आय बढ़ी है. उन्होंने कहा कि किसानों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां जैसे समय समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम किया गया.

जिसमें विभाग द्वारा सब्जियों की वैज्ञानिक रूप से खेती की गई थी. परियोजना के किसानों को जाईका द्वारा उपलब्ध कराए गए लाभों जैसे कि निशुल्क बीज, सिंचाई की सुनिश्चित आपूर्ति, फव्वारा सिंचाई विधि जैसी विभिन्न सिंचाई सुविधाएं और पावर टिलर, ब्रशकटर, नैप सैकस्प्रे, स्प्रे पंप जैसी कृषि मशीनरी को अपनाकर वाणिज्यिक पैमाने पर सब्जियां उगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया.

हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना के तहत सभी लाभार्थी किसान जिन्होंने सभी गतिविधियों और प्रशिक्षण को कुशलता से किया है और उनकी उत्पादकता का स्तर बढ़ा है. उन्होंने कहा कि अब तक कुल कृषि योग्य क्षेत्र में से 20 प्रतिशत क्षेत्र को फसल विविधीकरण के तहत लाने के लक्ष्य के मुकाबले 78 प्रतिशत क्षेत्र को फसल विविधीकरण के अन्तर्गत लाया जा चुका है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना, जापान इंटरनेशनल कोर्पोरशन एजेंसी (जाइका) के सहयोग से हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना में लागू की गई है.

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