हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / city

हिमाचल में अभिभावकों की गुहार, सभी के लिए स्कूल खोल दो सरकार

शनिवार को उपमंडल बल्ह में निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों द्वारा एक बैठक का आयोजन किया (Parents meeting in Sundernagar) गया. जिसमें बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित अभिभावकों द्वारा सरकार से स्कूल खोलने की गुहार (Demand to open school in HP) लगाई गई है. अभिभावक चाहते हैं कि अब तो सभी श्रेणी के बच्चों के लिए स्कूल तुरंत प्रभाव से खोल दिए जाने चाहिए, ताकि बच्‍चों के भविष्‍य से खिलवाड़ न हो. उन्होंने कहा कि लंबे समय से बंद चल रहे स्कूलों को खोलना इसलिए (Parents meeting in Sundernagar) जरूरी है, क्‍योंकि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को सामाजिक और भावनात्मक ज्ञान मिलना बंद हो गया है.

Demand to open school in HP
हिमाचल में स्कूल खोलने की मांग

By

Published : Feb 12, 2022, 5:38 PM IST

सुंदरनगर: शनिवार को उपमंडल बल्ह में निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों द्वारा एक बैठक का (Parents meeting in Sundernagar) आयोजन किया गया. अभिभावकों ने बैठक में भाग लेते हुए गुहार लगाई कि अब तो स्कूल खोल दो सरकार ताकि बच्‍चों के भविष्‍य से न हो खिलवाड़. उन्होंने सरकार से बच्चों के भविष्य को मद्देनजर रखते हुए उनके स्कूल तुरंत प्रभाव से खोल देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि अब तो शिक्षा विभाग द्वारा डेट शीट भी जारी कर दी गई है, कब बच्चे पढ़ेंगे और कब रिवीजन होगा. यह चिंता बच्चों व अभिभावकों को सताए जा रही है.

अभिभावकों का कहना है कि वर्ष 2020 से कोरोना महामारी के कारण स्कूलों का बंद करना बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है. उन्होंने सरकार से प्रश्न पूछा है कि जहां एक ओर राजनितिक रैलियां, मेले, विवाह व अन्य समारोह आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन देश के भविष्य कहलाने वाले बच्चों की शिक्षा दीक्षा पर ही रोक टोक क्यों लगाई गई है. उन्होंने सरकार व शिक्षा विभाग से मांग की है कि प्राइमरी से जमा दो तक के बच्चों के (Demand to open school in HP) स्कूलों को तुरंत प्रभाव से खोल दिया जाए.

उन्होंने कहा कि लंबे समय से बंद चल रहे स्कूलों को खोलना इसलिए (Parents meeting in Sundernagar) जरूरी है, क्‍योंकि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को सामाजिक और भावनात्मक ज्ञान मिलना बंद हो गया है. क्योंकि बच्चे स्कूल जाकर दूसरे बच्चों से भी बहुत कुछ सीखते हैं. स्कूल में दूसरे बच्चों और शिक्षकों के साथ संवाद का मौका मिलता है, उसमें कुछ बातें बच्चों को अच्छी लगती हैं और कुछ बातें बुरी भी लगती हैं. अच्छी बात पर कैसे रिएक्ट करना है और बुरी बात पर अपनी भावनाएं कैसे व्यक्त करनी है, ये बच्चे स्कूल में ही सीख पाते हैं. लेकिन, ऑनलाइन क्लास में ऐसी सुविधा बच्चों को नहीं मिल पाई है, इसलिए 90 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों को पिछले दो साल से सामाजिक और भावनात्मक शिक्षा से वंचित रहना पड़ा है.

स्कूलों के शिक्षक भी जूझ रहे:शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े कुछ एक अभिभावकों ने बैठक के दौरान अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि स्कूलों के शिक्षक भी इसी संकट से जूझ रहे हैं, क्योंकि बच्चे जब पढ़ने के लिए स्कूल आते थे तब हर बच्चे के साथ शिक्षकों का भावनात्मक संबंध जुड़ जाता था. वो बच्चों का चेहरा देखकर समझ जाते थे कि किस बच्चे को पाठ समझ में आया और किसे समझ में नहीं. वहीं, किस बच्चे ने होमवर्क किया है या नहीं उसका क्या कारण है. ऐसी तमाम बातों पर शिक्षकों का ध्यान रहता था, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में ये भी संभव नहीं हो पा रहा है.

वहीं, रिसर्च में 80 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षकों का भी मानना है कि ऑनलाइन पढ़ाते समय वो चाहकर भी बच्चों के साथ भावनात्मक जुड़ाव नहीं रख पा रहे हैं, जो ना तो बच्चों और ना ही टीचर के लिए उचित है. शिक्षकों के लिए एक चुनौती ये भी है कि उन्हें पढ़ाने के बाद परीक्षा भी ऑनलाइन ही लेनी पड़ रही है. ऑनलाइन टेस्ट देने वाले कितने बच्चे पढ़ाई करके उत्तर दे रहे हैं और कितने बच्चे नकल कर रहे हैं ये पता लगाने के लिए शिक्षकों के पास कोई उपाय नहीं है.

अभिभावकों को नई चिंता सताने लगी है:पढ़ाई और परीक्षा की जितनी चिंता बच्चों और शिक्षकों को होती है, उतनी ही चिंता अभिभावकों को भी रहती है. अभिभावकों को अब ये भी पता नहीं चल पा रहा कि बच्चे को ऑनलाइन पढ़ाई से कुछ समझ में आ रहा है या फिर वो कंप्यूटर और मोबाइल पर केवल टाइम पास कर रहा है. इस बात से भी अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि जब स्कूल खुलते थे तो बच्चों के सोने का, जगने का, स्कूल जाने का, खेलने का, खाने का, हर बात का टाइम टेबल था. मगर दो वर्षों से घर में बैठ ऑनलाइन परीक्षा देने से उनके भविष्य की चिंता सताने लगी है. वहीं, स्कूल न जाने के चलते खेल-कूद प्रतियोगिताओं में भाग लेना भी बंद हो गया है.

बता दें कि बैठक में रमेश चंद, हेमराज, देवराज, कुसमा देवी, रेनू देवी, पूनम शर्मा, विजय कुमार, संदीप कुमार,कर्म सिंह, अनिल कुमार, हंसराज, प्रकाश चंद्र, ललिता देवी, पूजा देवी, विकास कुमार, नेहा देवी, विनोद कुमार, चंद्रेश कुमारी, पंकज शर्मा, सत्य देवी, संजय कुमार, अमीता सेन, वर्षा सेन,अशिता सेन, रितु कुमारी, आशु गुप्ता, पल्लवी, महिमा, मनीषा,राणी देवी सेन, नीरज कुमार, सुरेश कुमार, सुरेंद्र कुमार,जगदीश ठाकुर, तिलक, जग्गू ठाकुर, दीपक गुप्ता, कुशाल, गंभीर, बलराज, गोवर्धन सिंह, हरविंद्र सिंह, भुवनेश्वरी देवी, ललिता, कला देवी, कुमारी लता, इंदु देवी, निशा, शकुंतला, मंजुला देवी, कौशल्या, इंदु शर्मा, पूनम शर्मा, वाणी देवी, नीलम, भानुप्रिया व अन्य अभिभावकों ने भाग लिया.

ये भी पढ़ें:ITI लंबलू में नए कोर्स हो रहे हैं शुरू, ट्रेनिंग के बाद प्लेसमेंट नहीं हुई तो फंडिंग में होगी 20% कटौती

ABOUT THE AUTHOR

...view details