करसोग/मंडीःकोरोना काल में न केवल मानव ही मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, बल्कि मंदिरों पर भी महामारी का असर दिख रहा है. पिछले महीने सरकार ने एसओपी जारी कर भले ही दर्शनों के लिए मंदिरों के कपाट खोल दिए हों, लेकिन कोरोना का खौफ आस्था पर भी भारी पड़ गया है.
उपमंडल करसोग की बात करें तो यहां प्रसिद्ध मंदिरों में नवरात्र के पवित्र पर्व पर भक्तों की कम भीड़ रही. करसोग के प्रसिद्ध मूल माहूंनाग मंदिर में जहां देवता के दर्शनों के लिए आम दिनों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगती थी, लेकिन कोरोना काल के इस कठिन दौर में मंदिर सुनसान पड़ा है. कर्ण का अवतार माना जाना वाले इस मंदिर में नवरात्र में भी बहुत कम संख्या में भक्तजन दर्शन करने पहुंचे. मंदिर कमेटी को उम्मीद थी कि नवरात्र में प्रदेश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी.
जिससे मंदिर में चढ़ावे में वृद्धि होगी. इसके लिए मंदिर में सरकार की एडवाइजरी के अनुसार पुख्ता प्रबंध भी किए गए थे, लेकिन कोरोना के खौफ के कारण बहुत कम संख्या में ही भक्तजन देवता के दर्शनों के लिए पहुंचे. ऐसे में कोरोना काल में मंदिर में चढ़ावे में 60 फीसदी तक घट गई है, जिससे मंदिर का रोज का खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है. नवरात्र में मंदिर परिसर के बाहर प्रसाद और धूप की दुकान सजा कर बैठे दुकानदार भी भक्तों की राह देखते रहे.
इन दुकानदारों को भी कोरोना महामारी की वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ा है. इस बार मई महीने में आयोजित होने वाला प्रसिद्ध मूल माहूंनाग का पांच दिवसीय मेला भी कोरोना की भेंट चढ़ गया था. इस मेले के आयोजित न होने से भी कारोबारियों को करीब एक करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा था.