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किसानों के मुद्दे पर धर्मपुर में कांग्रेस व माकपा का प्रदर्शन, निकाली रैली

देशव्यापी भारत बन्द के आह्वान पर ब्लॉक कमेटी कांग्रेस औऱ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने एक साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन किया. दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने बस स्टैंड से धर्मपुर बाजार होते हुए एस डी एम कार्यालय तक रैली निकाली.

Congress and CPI-M protest in Dharampur on farmers issue
Congress and CPI-M protest in Dharampur on farmers issue

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Published : Dec 8, 2020, 5:20 PM IST

धर्मपुर/मंडीः उपमंडल मुख्यालय में 8 दिसंबर को देशव्यापी भारत बन्द के आह्वान पर ब्लॉक कमेटी कांग्रेस औऱ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने एक साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन किया. दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने बस स्टैंड से धर्मपुर बाजार होते हुए एस डी एम कार्यालय तक रैली निकाली.

किसान आंदोलन के समर्थन में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

इस दौरान जमकर मोदी सरकार के खिलाफ और किसानों के समर्थन में नारे लगाए गए. इसके अलावा दोनों पार्टियों के नेताओं ने व्यापारियों से दुकानें बंद करने की अपील की, जिसके बाद बाजार बन्द किया गया.

रैली के बाद एस डी एम कार्यालय के बाहर जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्टी के नेता चन्द्रशेखर ने कहा कि जब देश में कोरोना महामारी फैली थी उस समय देश की मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र को अंबानी और अदानी को बेचने में लगी थी और उसी समय तीन किसान विरोधी काले कानून संसद में पारित कर दिये. जिसका पंजाब व हरियाणा के किसानों ने इन कानूनों के खिलाफ मोर्चा संभाला है और अब देश का पूरा किसान आंदोलन शामिल हो गया है.

सरकार की किसान विरोधी नितियों का भारत बंद कड़ा जवाब

उन्होंने कहा कि किसान सरकार से ये काले कानून वापस करवा कर छोड़ेगी और सत्ता से हटाकर ही दम लेगी. जनसभा को संबोधित करते हुए माकपा के सचिव और जिला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने कहा कि आज देश भर में तीन सौ से ज्यादा किसान संगठन और एक दर्जन राजनैतिक दल तथा मजदूरों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं के संग़ठन एकजूट होकर भारत बन्द का सफ़ल आयोजन कर रहे हैं जो मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों का कड़ा जबाब है.

कांट्रेक्ट फॉर्मिग के लिए लाया गया बिल

भूपेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार बड़े पूंजीपतियों को कृषि क्षेत्र में मुनाफा कमाने की छूट देने और फसलों की जमाखोरी और काला बाजारी करने की छूट देने के लिए तथा उनकी शर्तों पर कांट्रेक्ट फॉर्मिग करने के लिए ये कानून लायी है, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी नियंत्रण वाली मार्किट व्यवस्था खत्म कर दी गई है.

जिसका सभी किसान संगठन और विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार किसानों की मांगों को पूरा नहीं कर रही है, लेकिन जिस प्रकार से किसान डटे हुए हैं उससे सरकार को समझ जाना चाहिए और जल्दी मांगे मान लेनी चाहिए नहीं तो ये आंदोलन और तेज होगा.

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