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Jairam Thakur Birthday: मंडी के एक छोटे गांव तांदी से सत्ता के शिखर तक सीएम जयराम ठाकुर का सफर

आरएसएस के आंगन में पले-बढ़े जयराम ठाकुर ने 28 साल की उम्र में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान महज 800 वोटों के अंतर से सराज विधानसभा से चुनाव हार गए. ये हार जयराम ठाकुर के लिए जीत से कम नहीं थी, क्योंकि इस चुनाव के बाद जयराम ठाकुर आलाकमान की नजरों (jairam political career) में आ चुके थे. सीएम जयराम आज अपना 57वां जन्मदिन (cm jairam thakur 57th birthday) मना रहे हैं. इस मौके पर पढ़िए ये खास रिपोर्ट.

Jairam Thakur Birthday
फोटो.

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Published : Jan 6, 2022, 9:38 AM IST

मंडी: हिमाचल प्रदेश में सत्ता के शिखर पर पहुंचे जयराम ठाकुर का बचपन गरीबी में कटा है. जयराम ठाकुर का परिवार नहीं चाहता था कि वह राजनीति में जाएं, लेकिन जयराम ठाकुर ने अपने दम पर राजनीति बुलंदियों को छुआ है. लगातार पांच बार सराज विधानसभा से विधायक का बनने वाले जयराम ठाकुर हिमाचल प्रदेश के सीएम पद पर आसीन हैं. राजनीति के सफर (jairam political career) में उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा. पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने और लोकसभा के मंडी सीट से उपचुनाव पर जयराम ठाकुर हार का सामना भी कर चुके हैं, लेकिन उनका हौसला कभी नहीं टूटा. जयराम ठाकुर के शिखर तक पहुंचने का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगता.


मंडी जिला का सराज विधानसभा क्षेत्र को प्रकृति ने सुंदरता का अपार भंडार बख्शा है. इसी विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मुराहग के तांदी गांव में 6 जनवरी 1965 को जेठू राम और बृकु देवी के घर जय राम ठाकुर ने जन्म (cm jairam thakur 57th birthday) लिया था. उनका बचपन गरीबी में कटा. परिवार में 3 भाई और 2 बहने (Jairam Thakur family) थी. पिता खेतीबाड़ी और मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे. जयराम ठाकुर तीन भाईयों में सबसे छोटे हैं, इसलिए उनकी पढ़ाई-लिखाई में परिवार वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी. जय राम ठाकुर ने कुराणी स्कूल से प्राइमरी करने के बाद बगस्याड़ स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद वह मंडी आए और यहां से बीए करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई पूरी की.

सीएम जयराम ठाकुर.

छुन्ना टी स्टॉल का बेसन आज भी पसंद करते हैं जयराम ठाकुर:मंडी में अपनी पढ़ाई के दौरान व छात्र राजनीति में प्रवेश करने के बाद जयराम ठाकुर अक्सर चाय पीने व बेसन खाने के लिए छुन्ना टी स्टॉल जाया करते थे और घंटों टी स्टॉल में बैठकर राजनीति पर चर्चा किया करते थे, मुख्यमंत्री बनने के बाद मंडी पहुंचे जयराम ठाकुर ने अपने भाषण के दौरान छुन्ना टी स्टॉल का जिक्र किया था. जयराम ठाकुर को बेसन बहुत पसंद है और कॉलेज समय में वे यहां पर बेसन खाया करते थे. जयराम ठाकुर जब मुख्यमंत्री बनने के बाद सर्किट हाउस पहुंचे तो उन्होंने छुन्ना टी स्टॉल मालिक ने बेसन भेजवाया और जयराम ठाकुर बेसन खाने के बाद बहुत प्रसन्न हुए.

छुन्ना टी स्टाल.


एबीवीपी के जरिए छात्र राजनीति में किया था प्रवेश:जयराम ठाकुर को पढ़ा चुके अध्यापक लालू राम बताते हैं कि जय राम ठाकुर बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे. अध्यापक भी यही सोचते थे कि जयराम ठाकुर किसी अच्छी पोस्ट पर जरूर जाएंगे. लेकिन अध्यापकों को यह मालूम नहीं था कि उनका स्टूडेंट प्रदेश की राजनीति का इतना चमकता सितारा बन जाएगा. जब जय राम ठाकुर वल्लभ कालेज मंडी से बीए की पढ़ाई कर रहे थे तो उन्होंने एबीवीपी के माध्यम से छात्र राजनीति में प्रवेश किया. यहीं से शुरुआत हुई जय राम ठाकुर के राजनीतिक जीवन की. जय राम ठाकुर ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा.

किताब पढ़ते हुए सीएम जयराम ठाकुर.

साल 1993 में सराज विधानसभा से पहली लड़ा चुनाव:एबीवीपी के साथ-साथ संघ के साथ भी जुड़े और कार्य करते रहे. घर परिवार से दूर जम्मू-कश्मीर जाकर एबीवीपी का प्रचार किया और 1992 को वापस घर लौटे. आरएसएस के आंगन में पले-बढ़े जयराम ठाकुर को 28 साल की उम्र में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे लेकिन साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान महज 800 वोटों के अंतर से सराज विधानसभा से चुनाव हार गए. लेकिन ये हार जयराम ठाकुर के लिए जीत से कम नहीं थी क्योंकि इस चुनाव के बाद जयराम ठाकुर आलाकमान की नज़रों में आ चुके थे.जब घरवालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने इसका विरोध किया.

जयराम ठाकुर. (दाएं)

जयराम ठाकुर के बड़े भाई बीरी सिंह बताते हैं कि परिवार के सदस्यों ने जय राम ठाकुर को राजनीति में न जाकर घर की खेतीबाड़ी संभालने की सलाह दी थी क्योंकि चुनाव लड़ने के लिए परिवार की आर्थिक स्थिति इजाजत नहीं दे रही थी. जयराम ठाकुर ने अपने दम पर राजनीति में डटे रहने का निर्णय लिया और विधानसभा का चुनाव लड़ा. यह चुनाव जय राम ठाकुर हार गए.

सीएम जयराम ठाकुर.

वर्ष 1998 में भाजपा ने फिर से जय राम ठाकुर को चुनावी रण में उतारा. इस बार जय राम ठाकुर ने जीत हासिल की और उसके बाद कभी विधानसभा चुनावों में हार का मुहं नहीं देखा. जय राम ठाकुर विधायक बनने के बाद भी अपनी सादगी से दूर नहीं हुए. जय राम ठाकुर ने विधायकी मिलने के बाद भी अपना वो पुश्तैनी कमरा नहीं छोड़ा जहां उन्होंने अपने कठिन दिन गुजारे थे. जय राम ठाकुर अपने पुश्तैनी घर में ही रहे. हालांकि अब जय राम ठाकुर ने एक आलीशान घर बना लिया है.

सीएम जयराम ठाकुर.

सीएम जयराम ने अपने पुश्तैनी मकान से की नए जीवन की शुरुआत:शादी के बाद भी जय राम ठाकुर ने अपने नए जीवन की शुरुआत पुश्तैनी घर से ही की. वर्ष 1995 में उन्होंने जयपुर की डॉ. साधना सिंह के साथ शादी की. जय राम ठाकुर की दो बेटियां हैं. आज अपने बेटे को इस मुकाम पर देखकर माता का दिल खुशी से फूले नहीं समाता है. जय राम ठाकुर के पिता जेठू राम का देहांत हो चुका है. जय राम ठाकुर की माता बृकु देवी ने बताया कि उन्होंने विपरित परिस्थितियों में अपने बच्चों की परवरिश की है.

अपनी बेटियों के साथ सीएम जयराम ठाकुर.

सीएम के अलावा कई अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं जयराम ठाकुर:जय राम ठाकुर एक बार सराज मंडल भाजपा के अध्यक्ष, एक बार प्रदेशाध्यक्ष, राज्य खाद्य आपूति बोर्ड के उपाध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. जब जय राम ठाकुर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष थे तो भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. जय राम ठाकुर ने उस दौरान सभी नेताओं पर अपनी जबरदस्त पकड़ बनाकर रखी थी और पार्टी को एकजुट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.

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