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सरकारी मदद से बढ़े सफलता के कदम, बल्ह के अक्षय के लिए वरदान बनी मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना

जगार मूलक योजनाओं में से एक मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना की मदद से अनेक लोग आत्मनिर्भर बन कर सफलता की राह पर आगे बढ़े हैं. उसी में से जिला के बल्ह उपमंडल के गागल गांव के युवा अक्षय ठाकुर हैं, जिनके लिए ख्यमंत्री स्वावलंबन योजना वरदान साबित हो रही है और वो 30 से 35 हजार रुपए कमा रहे हैं.

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Published : Jul 23, 2020, 9:32 PM IST

Mukhyamantri Swavalamban Yojana
Akshay Thakur.

सुंदरनगर: हिमाचल सरकार द्वारा चलाई जा रही रोजगार मूलक योजनाओं का सहारा मिलने से युवाओं के जीवन में बड़ा बदलाव आने लगा है. रोजगार मूलक योजनाओं में से एक मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना की मदद से अनेक लोग आत्मनिर्भर बन कर सफलता की राह पर आगे बढ़े हैं. उसी में से जिला के बल्ह उपमंडल के गागल गांव के युवा अक्षय ठाकुर हैं, जिनके लिए ख्यमंत्री स्वावलंबन योजना वरदान साबित हो रही है.

बता दें कि 27 वर्षीय अक्षय ठाकुर ने ऑप्टोमेट्री डिप्लोमा (आंखों के परीक्षण-निदान से संबंधित कोर्स) करने के बाद काम की तलाश शुरू की. हालांकि मन में इच्छा अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने की थी, लेकिन साधन इतने नहीं थे कि स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकते, इसी बीच उन्हें सरकार की मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना की जानकारी मिली. इसके बाद उन्होंने 12 लाख रुपये का ऋण लेकर जरूरी मशीनें खरीदीं और शहर के स्कूल बाजार में दुकान किराए पर लेकर कंप्यूटराइज्ड आई टेस्टिंग सेंटर स्थापित किया.

वीडियो रिपोर्ट.

अक्षय ठाकुर ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने युवाओं की मदद के लिए मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना शुरू की है. सूचना मिलने के बाद उद्योग विभाग के जिला कार्यालय में संपर्क करके उन्होंने मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के लिए आवेदन किया. इसके बाद उन्हें बैंक से अपना काम शुरू करने के लिए 12 लाख रुपये का ऋण मिला और फिर उन्होंने कंप्यूटराइज्ड आई टेस्टिंग सेंटर’ स्थापित किया. जिससे अब वो 30 से 35 हजार रुपए कमा रहे हैं और एक व्यक्ति को वो भी अपने पास रोजगार भी दे रहे हैं.

मुख्यमंत्री स्वावलंबन उद्योग विभाग के महाप्रबंधक ओपी जरयाल ने बताया कि मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना प्रदेश सरकार की महत्वूपर्ण योजनाओं में से एक है, जिसे उद्योग विभाग के जरिए चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत कोई भी हिमाचली युवा व युवती जिनकी आयु 18 से 45 वर्ष के बीच हो और अपना उद्योग स्थापित करना चाहते हों. ऐसे उनके लिए 40 लाख रुप के निवेश पर 25 प्रतिशत व 30 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि उद्योग की अधिकतम लागत 60 लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. इसके आलावा योजना के तहत वो विधवा महिलाएं जो 45 वर्ष से कम हो, उनके लिए भी 35 प्रतिशत का अनुदान और ब्याज की दर में 5 प्रतिशत की छूट का भी प्रावधान है.

ओपी जरयाल ने बताया कि जिला में बीते दो वर्षों में 218 उद्योग स्थापित करने के लिए लगभग 45 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 95 मामलों में लगभग साढ़े 5 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया है. उन्होंने बताया कि साल 2020-21 में 7.50 करोड़ रुपये के अनुदान वितरण का लक्ष्य रखा है.

डीसी ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि जिला प्रशासन प्रयास कर रहा है कि जिला में युवाओं को स्वरोजगार लगाने के लिए हर संभव मदद मुहैया करवाई जाए और उन्हें सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ मिले. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना बहुत मददगार सिद्ध हुई है, क्योंकि अनेकों युवा अपना काम शुरू करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं.

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