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मक्की की फसल से कमा सकते हैं अधिक मुनाफा, कृषि विभाग ने बताए तरीके - मक्की की फसल करसोग

करसोग क्षेत्र में गेहूं के बाद उगाई जाने वाली मक्की एक प्रमुख फसल है. ऐसे में किसान अच्छी पैदावार लेकर किस तरह से मक्की की फसल से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. इसके लिए कृषि विभाग ने किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की तकनीक अपनाने का परामर्श दिया है.

Corn sowing in Karsog
मक्की की फसल करसोग

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Published : Jun 8, 2020, 8:43 AM IST

करसोग: जिला मंडी के करसोग क्षेत्र में गेहूं के बाद उगाई जाने वाली मक्की एक प्रमुख फसल है. यह एक बहुपयोगी फसल है जिसे मनुष्य और पशुओं के आहार का प्रमुख हिस्सा माना जाता है. इसके साथ ही औद्योगिक दृष्टिकोण से भी ये एक महत्वपूर्ण फसल है. खरीफ सीजन में उपमंडल के अधितर क्षेत्रों में इन दिनों मक्की की बिजाई का कार्य चल रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

ऐसे में किसान अच्छी पैदावार लेकर किस तरह से मक्की की फसल से अधिक मुनाफा कमा सकते है. इसके लिए कृषि विभाग ने किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की तकनीक अपनाने का परामर्श दिया है. किसान इस तकनीक में मिश्रित खेती जैसे दलहनी फसलों की बिजाई करके मक्की की बहुत अच्छी पैदावार ले सकते है जिससे मक्की के साथ ही दाल की फसल लेने से किसानों को दोहरा मुनाफा होगा.

यही नहीं विशेषज्ञों ने बिजाई के समय बीज की उचित दूरी पर भी विशेष ध्यान देने की सलाह दी है जिससे एक तो बीज की खपत कम होगी. वहीं, पौधा स्वस्थ होने से उत्पादन भी बढ़ेगा. मक्की की अच्छी फसल लेने के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी दो फीट और पौधे से पौधे की दूरी डेढ़ फीट होनी चाहिए ताकि खेती के पेशे से जुड़े किसानों के लिए कृषि और अधिक लाभ कमाने का साधन बन सके.

बिजाई के वक्त ऐसा न करें नहीं तो सकता है नुकसान

कृषि विभाग के मुताबिक अधिकतर किसान मक्की को अधिक घना बिजते हैं जिसके बाद जुलाई और अगस्त महीने में मक्की के पौधों में यूरिया डाल देते हैं. इसको करने से पौधे की ऊंचाई अधिक बढ़ जाती है और अगस्त अंत में और सितंबर महीने के शुरू में तेज हवाएं चलने से मक्की का पौधा गिर जाता है. इससे हर साल किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. यही नहीं घना बीजने से मक्की का बीज भी अधिक लगता है. इन दिनों मक्की के बीज की कीमत 50 से 60 रुपये किलो है. ऐसे में इस तरह की लापरवाही से किसानों को दोहरा नुकसान झेलना पड़ता है.

करसोग कृषि विभाग के विषय वार्ता विशेषज्ञ (एसएमएस) रामकृष्ण चौहान ने बताया कि किसान बिजाई के वक्त बीज की उचित दूरी का ध्यान रखें, उन्होंने कहा कि सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती तकनीक से मक्की के साथ किसान मिश्रित खेती कर दलहन की फसल भी ले सकते हैं. इससे मक्की का और अधिक उत्पादन बढ़ेगा.

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