कुल्लू: प्रदेश में अब लोग रेशम उत्पादन के लिए सिर्फ शहतूत रेशम पर ही निर्भर नहीं (Workshop on silk in Kullu)रहेंगे. अब रेशम बोर्ड द्वारा ऑक्टसर रेशम व ऐरी रेशम पर भी काम करना शुरू कर दिया और इसके लिए उन्हें शहतूत पर ही निर्भर नहीं रहना होगा. वहीं, जिला लाहौल स्पीति में भी माइनस तापमान पर लोग रेशम का उत्पादन कर सकते है. यह बात है हिमाचल प्रदेश रेशम निदेशालय के उप निदेशक बलदेव चौहान ने कही.
वह ढालपुर में राष्ट्रीय सिल्क बोर्ड बंग्लूरु तथा रेशम तकनीकी सेवा केन्द्र जम्मू द्वारा राज्य सिल्क बोर्ड व हस्तशिल्प के सहयोग से रेशम को बढ़ावा देने के संबंध में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बोल रहे थे. चौहान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में सबसे ज्यादा रेशम का उत्पादन किया जा रहा है. डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लगभग 32 मीट्रिक टन यानि देश का केवल एक प्रतिशत रेशम उत्पादन होता है. यह एक ऐसा क्षेत्र ,जिसमें आजीविका के लिये अपार संभावना है.