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अटल टनल में पानी का रिसाव रोकेगा एनएचपीसी, बीआरओ के साथ एमओयू साइन - kullu news hindi

अटल टनल में पानी के रिसाव को अब (Water Leakage In Atal Tunnel) एनएचपीसी कंपनी के द्वारा रोका जाएगा. इसके लिए बीआरओ ने एनएचपीसी के साथ एमओयू साइन किया है. एनएचपीसी ने पानी बंद करने के लिए काम शुरू कर दिया है. यह वही सेरी नाला है जिसके कारण अटल टनल रोहतांग का निर्माण चार साल देरी से हुआ है.

Atal Tunnel Rohtang
अटल टनल में पानी का रिसाव

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Published : Sep 5, 2022, 5:32 PM IST

कुल्लू:देश का गौरव अटल टनल में सेरी नाले के रिसाव को अब एनएचपीसी कंपनी के द्वारा रोका जाएगा. बीआरओ ने एनएचपीसी के साथ एमओयू साइन कर दिया है. ऐसे में अब पीरपंजाल की पहाड़ी को भेदकर 3200 करोड़ की लागत से देश का मान बनी अटल टनल रोहतांग से जल्द ही सेरी नाले के पानी का रिसाव बंद (Water Leakage In Atal Tunnel) हो जाएगा. योजक परियोजना ने रिसाव को बंद करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (एनएचपीसी) को दी है.

एनएचपीसी ने पानी बंद करने के लिए काम शुरू कर दिया है. यह वही सेरी नाला है जिसके कारण अटल टनल रोहतांग का निर्माण चार साल देरी से हुआ है. 2017 में टनल के भीतर नाले के रिसाव के कारण बाढ़ आ गई थी. वहीं, इस बाढ़ को देखते हुए स्ट्राबेग व एफकान कंपनी के इंजीनियर कई दिन टनल के भीतर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए थे. उस समय के चीफ इंजीनियर ने स्वयं मोर्चा संभालते हुए टनल के भीतर जाने की हिम्मत की थी.

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बनाई गई अटल टनल को अपनी खूबियों व विशेषताओं के चलते दुनिया भर में सम्मान मिला है. लेकिन इन दिनों अटल टनल के भीतर रिसाव से इसकी सुंदरता प्रभावित हो रही है. बता दें कि रोहतांग टनल बन जाने से भारतीय सेना की ताकत भी कई गुणा बढ़ गई है. अब साल भर चीन व पाकिस्तान की सीमा तक रसद पहुंचने में कोई बाधा नहीं होगी. अटल टनल सैलानियों के लिए भी नया आकर्षण है. यहां आने वाले सैलानियों की संख्या अपने आप में आश्चर्य चकित करती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका लोकार्पण (Atal Tunnel Rohtang) किया था. ये दुनिया में सबसे ऊंची जगह पर बनी हाईवे टनल है. इसके निर्माण में 3200 करोड़ रुपए की लागत आई है. बीआरओ की योजक परियोजना (रोहतांग सुरंग) के चीफ इंजीनियर विशेष सेवा मेडल प्राप्त जितेंद्र प्रसाद ने बताया कि एनएचपीसी के साथ सेरी नाले से रिसाव को रोकने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इस दिशा में अब एनएचपीसी ने काम शुरू कर दिया है.

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