कुल्लू:जी.बी. पंत हिमालयी पर्यावरण राष्ट्रीय संस्थान कुल्लू, चतुर्थ प्रतिमान संस्थान बेंगलुरु और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कुल्लू के संयुक्त तत्वावधान में जलवायु परिवर्तन के तहत चरम मौसमी घटनाओं पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ जी.बी.पंत संस्थान कुल्लू में चतुर्थ प्रतिमान संस्थान बेंगलुरु के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वी.के. गौड़ ने (Senior Scientist Dr VK Gaur) किया. सम्मेलन में उक्त दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों, प्रदेश के विभिन्न भागों के अलावा बैंगलोर से आए शोधार्थियों ने भाग लिया.
इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. वी.के. गौड़ ने कहा कि चतुर्थ प्रतिमान संस्थान बेंगलुरु वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक संघटक प्रयोगशाला है. जिसका उद्देश्य देश को कंप्यूटेशन, डाटा, गहन अनुसंधान और खोज के क्षेत्र में एक अद्वितीय स्थिति प्रदान करना (Scientist Dr VK Gaur in kullu) है. उन्होंने कहा कि जलवायु पर व्यवस्थित ढंग से कार्य करना है. जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने और रोकने के लिए इसके बारे में गहन अध्ययन और जानकारी जरूरी है.
आपदाएं अनेक प्रकार की हैं और इन सभी के कारणों के बारे में जानना है और जानकारी को समस्त हितधारकों तक पहुंचाना है. उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय असंतुलन मौसम बदलाव का बड़ा हिस्सा है और इसे काफी हद तक रोका जा सकता (two day seminar in Kullu) है. पर्वतीय क्षेत्रों में ग्लेशियर, भूस्खलन, बादल फटने की घटनाएं आए दिन देखने को मिलती है. अभूतपूर्व वर्षा अथवा गर्मी पर्यावरण असंतुलन के कारक हैं. उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकीय स्वास्थ्य नितांत आवश्यक है.