कुल्लू:दिल्ली, मुंबई, गोवा, हैदराबाद जैसे बड़े-बड़े शहरों में रेव पार्टियों में पुलिस रेड की खबरें आए दिन सुर्खियां बटोरती हैं. लेकिन शहरों की चकाचौंध से दूर पहाड़ और इसके जंगल भी अब इससे अछूते नहीं है. हिमाचल में बीते दिनों में लाहौल और कुल्लू से रेव पार्टी (Rave party in Himachal) के मामले सामने आ चुके हैं, जहां पुलिस ने रात के अंधेरे में चल रही रेव पार्टी में दबिश दी थी. हिमाचल की शांत वादियों के जंगल अब आधी रात में रेव पार्टियों से गुलजार हो रहे हैं खासकर कुल्लू-मनाली, जहां हर साल लाखों पर्यटक सुकून की तलाश में पहुंचते हैं लेकिन अब ये इलाका रेव पार्टी डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है.
कुल्लू जिले की मणिकर्ण घाटी के पुलगा के जंगलों में बीते दिनों पुलिस टीम ने रेड कर 80 युवक और युवतियों को हिरासत में (Rave party in Kullu) लिया था. इस मामले में आयोजकों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है. इससे पहले भी साल 2019 में कुल्लू पुलिस की टीम ने मणिकर्ण घाटी के ही जंगलों में रेड की थी और वहां पर 200 युवक और युवतियों को पार्टी में नशे में झूमते हुए पाया गया था. ऐसे में अब शांत कही जाने वाली हिमाचल वादियां रेव पार्टियों के लिए भी बदनाम हो रही हैं.
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युवाओं में बढ़ा रेव पार्टियों का चलन: इन पार्टियों में सरेआम ड्रग्स, भांग और शराब का सेवन होता है और युवा पीढ़ी भी इसकी चपेट में तेजी से आ (Rave parties increasing in Himachal Pradesh) रही है. पुलिस की पकड़ को देखते हुए आयोजक भी इस पार्टी को बड़े गुपचुप तरीके से करते हैं और हिमाचल में दिल्ली, मुंबई जैसी पुलिसिंग ना होने के कारण यहां के जंगल बेहतर डेस्टिनेशन (rave party destination) साबित होते हैं. जंगलों में न तो सड़क की सुविधा होती है और न ही बिजली की व्यवस्था. आयोजक बिजली के लिए जनरेटर की व्यवस्था करते हैं और इसमें भाग लेने वाले को भी एक दिन पहले ही स्थान पर पहुंचना होता है. भारत में करीब 90 के दशक से रेव पार्टियों का चलन देखने को मिल रहा है. हालांकि ऐसी पार्टियों की शुरुआत दुनिया में उससे भी करीब 30 साल पहले हो चुकी थी.