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खंमगीर ग्लेशियर में फंसे सदस्यों को लाया गया काजा, इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती: जिलाधीश नीरज कुमार - Trekking member trapped in Khanmigar Glacier reached Kaza

हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति में ट्रेकर्स दल की खोज और बचाव अभियान जारी है. काजा में एक शेरपा, छह पोटर और तीन सदस्यों को ITBP की निगरानी में धार थांगों से काजा गांव लाया गया और काजा में SDM और ADM की मौजूदगी में काजा प्रशासन के हवाले कर दिया गया, जहां सभी को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.

Trekking member trapped in Khanmigar Glacier reached Kaza
ग्लेशियर में फंसे सदस्यों को काजा अस्पताल में दिया गया प्राथमिक उपचार

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Published : Sep 29, 2021, 10:15 PM IST

लाहौल स्पीति: खंमीगर ग्लेशियर पर ठहरे पर्वतारोही दल के रेस्क्यू किए गए सदस्यों का काजा पहुंचाया गया. इसके बाद सीएचसी काजा में इनका प्राथमिक उपचार किया गया. इनमें एक शेरपा, छह पोटर और तीन सदस्य थे. सभी 10 सदस्यों को रेस्क्यू किया गया है. वहीं, एक पोटर और एक सदस्य पहले से रेस्क्यू दल के साथ काह से आईटीबीपी कैंप के लिए गया था जोकि अब काजा पहुंच गया है. अब काजा में कुल दल के 12 सदस्य पहुंच गए हैं, जबकि चार पोटर दो शवों के साथ खंमीगर ग्लेशियर से नीचे लाए जा रहे हैं. उन्हें आईटीबीपी बेस कैंप पर लाया जा चुका है.

जिलाधीश नीरज कुमार ने बताया कि काजा पहुंचने पर दल के सदस्यों को प्राथमिक उपचार दिया गया है. इनमें से दो सदस्यों को फ्रॉस्ट बाइट हुआ था. सभी सदस्य स्वस्थ हैं. उन्होंने कहा कि 'मैं रेस्क्यू दल में आईटीबीपी, डोगरा स्काउट और पोटर का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने इस रेस्क्यू आपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया. इसके साथ ही स्पिति प्रशासन के एडीएम और उनकी टीम ने समन्वय में काफी भूमिका निभाई.' उन्होने कहा कि जल्द ही दोनों शवों के साथ चार पोटरों को भी काजा रेस्क्यू करके लाया जाएगा. अभी आईटीबीपी के बेस कैंप पर पहुंच चुके हैं. एडीएम मोहन दत शर्मा ने सभी दल के सदस्यों का हाल जाना है. पश्चिम बंगाल के मंत्री से फोन के माध्यम से सदस्यों की बात हुई है.

बता दें कि माउंटेनिरिंग फांउडेशन पश्चिम बंगाल का पर्वतारोही दल 15 सितंबर को बातल से काजा के लिए वाया खंमीगर ग्लेशियर से रवाना हुआ था, लेकिन बर्फबारी के कारण आगे का सफर करने में दल असमर्थ हो गया. जिसमें खंमीगर ग्लेशियर पर दो सदस्यों की मौत गई, जबकि अन्य सभी सदस्यों ने वहीं पर ठहरने का फैसला किया और आगे का ट्रेक पूरा नहीं किया. इसके बाद एक पर्वतारोही और एक शारपा ने काजा एडीएम को दल के दो सदस्यों की मौत और अन्य सदस्यों के बारे में सूचना देने के लिए सोमवार को सुबह पहुंचा. इसी के बाद प्रशासन ने रेस्क्यू दल काजा से काह के लिए रवाना कर दिया.


25 सितंबर को तीन पोटर उन दोनों को सदस्यों को देखने के लिए करीब सात बजे सुबह गए, लेकिन जब पहुंचे तो दोनों सदस्यों की मौत हो चुकी थी. तीनों पोटर वापस पहुंचे और दल के अन्य सदस्यों को मृतकों की सूचना दी. फिर दल ने फैसला किया कि स्थानीय प्रशासन को इसके बारे में सूचित किया जाए और सदस्य अभिजीत के साथ पोटर जीवन को काजा तुरंत रवाना किया गया. इन दोनों को दो दिन काजा पहुंचने में लग गए. 27 सितंबर की सुबह दोनों ने एडीएम काजा के पास इस घटना के बारे में सूचना दी गई.

इसके बाद ही प्रशासन ने आइटीबीपी, डोगरा स्काउट और पोटर का 32 सदस्यीय रेस्क्यू दल का गठन किया और पिन घाटी के काह गांव के लिए रवाना कर दिया. 28 सितंबर को रेस्क्यू दल की एडवांस पार्टी को उक्त सदस्य रास्ते में मिल गए. इनमें से दो सदस्यों को फ्रॉस्ट बाइट से ग्रसित थे, जिन्हें चलने में दिक्कत हो रही थी, लेकिन रेस्क्यू दल के सदस्यों ने कंधों का सहारा लेकर इन्हें काह तक लाया लाया.

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अभिजीत कोलकाता के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा कि 24 सितंबर को जब सुबह बर्फबारी नहीं हो रही थी तो दल ने आगे के ट्रेक पर निकले. फिर हमने खंमीगर ग्लेशियर से नीचे जैसे जहां पर बर्फ कम थी. वहां पर टेंट लगाया हुआ था, लेकिन दो सदस्य टेंट में नहीं पहुंचे. फिर वहीं पर उन्हें टेंट लगवा दिया गया, लेकिन अगली सुबह जब खाना पानी आदि सामान लेकर उनके पास सदस्य पहुंचे तो उनकी मौत हो चुकी थी. इसेक बाद काजा प्रशासन को इसकी सूचना दी गई. प्रशासन ने रेस्क्यू दल का गठन करके हमारे दल के सदस्यों को रेस्क्यू किया.

वहीं, रनोधीर राय कहते हैं कि मैं छोटी उम्र से ट्रेकिंग का शौकीन रहा हूं. पहले मैं अपने दोस्तों के साथ ट्रेकिंग करता रहता था. देबाशीष बर्धन के साथ मिलना हुआ तो उन्होंने बताया कि स्पीति काजा के अज्ञात ग्लेशियर ट्रेक को ढूंढना और उन्हें एक्सप्लोर करना था. पिछले तीन सालों से यहां पर आ रहे हैं. यह ट्रेक भी काफी अच्छा और रोमांचक था. हमने नियमों के मुताबिक ही दल को चला रहे थे. काजा प्रशासन ने बहुत की बेहतरीन तरीके से रेस्क्यू अभियान को सफल बनाया है. आईटीबीपी और डोगरा स्काउट के जवानों ने दल के हर सदस्य को सुरक्षित रेस्क्यू किया है. हिमाचल सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार ने मिलकर रेस्क्यू करने में पल-पल की खबर लेते रहे.

वहीं, इस मामले में पोटर जीवन ने बताया कि बड़ा ग्लेशियर से होते हुए ट्रेक किया था, लेकिन तीन दिन तक बर्फ गिरता रहा था. जब बड़ा ग्लेशियर से नीचे उतरते समय जब खंमीगर ग्लेशियर पर पहुंचे तो दो सदस्यों की मौत हो गई थी. इसके बाद रेस्क्यू दल ने हमें सुरक्षित रेस्क्यू किया.

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