कुल्लू:विश्व पटल पर प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मनाली के पास पुराने मनाली क्षेत्र में मनु ऋषि का मंदिर स्थित है. ये मंदिर दुनियाभर में ऋषि मनु का एकमात्र मंदिर है. मंदिर के इतिहास की बात करें तो इस मंदिर की स्थापना को लेकर सही समय और तारीख किसी को पता नहीं. हालांकि, साल 1992 में इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया.
आज के दौर में ये मंदिर एक तीर्थ स्थल बन चुका है. ब्यास नदी के किनारे बसा ये मंदिर मनाली मुख्य बाजार से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है. मनु ऋषि के नाम पर ही मनाली शहर का नाम पड़ा है. मनाली की आज भी मनु की नगरी के रूप में पहचान है.
कौन थे ऋषि मनु?
ऋषि मनु को लेकर कई तरह की मान्याताएं और कहानियां हैं. वेद और शास्त्रों के अनुसार मनु इस संसार के पहले मनुष्य थे. कहा जाता है कि मनु ने अपने जीवन के सात चक्रों को इसी क्षेत्र में बिताया था, जहां आज उनका मंदिर है. इसी क्षेत्र में उनका सात जन्म और सात बार मृत्यु हुई थी.
भगवत गीता में भी है ऋषि मनु का उल्लेख
वैदिक साहित्य से लेकर प्राचीन ग्रंथों तक मनु आदिमानव के रूप में जाने जाते हैं. मान्यता है कि जल प्रलय के बाद मनु ही धरती पर शेष बचे थे और उन्हीं से सारी सृष्टि विशेषकर मानव जाति का विकास हुआ. वैदिक साहित्यों में मनु को सूर्य का पुत्र और मानव जाति का पथ प्रदर्शक बताया गया है. भगवत गीता में भी मनु का उल्लेख है.
मत्स्य पुराण में मनु ऋषि का उल्लेख
मत्स्य पुराण में उल्लेख है कि सत्यव्रत नाम के राजा एक दिन कृतमाला नदी में जल से तर्पण कर रहे थे. उस समय उनकी अंजुलि में एक छोटी सी मछली आ गई. सत्यव्रत ने मछली को नदी में डाल दिया तो मछली ने कहा कि इस जल में बड़े जीव जंतु मुझे खा जाएंगे. यह सुनकर राजा ने मछली को फिर जल से निकाल लिया और अपने कमंडल में रख लिया और आश्रम ले आए.
रात भर में वह मछली बढ़ गई. तब राजा ने उसे बड़े मटके में डाल दिया. मटके में भी वह बढ़ गई तो उसे तालाब में डाल दिया अंत में सत्यव्रत ने जान लिया कि यह कोई मामूली मछली नहीं जरूर इसमें कुछ बात है तब उन्होंने ले जाकर समुद्र में डाल दिया.
समुद्र में डालते समय मछली ने कहा कि समुद्र में मगर रहते हैं वहां मत छोड़िए, लेकिन राजा ने हाथ जोड़कर कहा कि आप मुझे कोई मामूली मछली नहीं जान पड़ती हैं, आपका आकार तो अप्रत्याशित तेजी से बढ़ रहा है बताएं कि आप कौन हैं.