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Published : Sep 23, 2020, 7:58 PM IST

Updated : Oct 3, 2020, 3:12 PM IST

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ग्राउंड रिपोर्ट: आजादी के कई सालों बाद भी किन्नौर के लोगों को है पक्की सड़क की आस

जिला किन्नौर में आज एनएच-5 पूरे किन्नौर के बीचों-बीच होकर गुजरता है, लेकिन आज भी किन्नौर के कई ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें नहीं बनाई गई हैं और जिन ग्रामीण क्षेत्रों मे सड़क बनाई गई है वहां सड़कें मजबूत नहीं हैं. न ही शासन प्रशासन की ओर से कोई अच्छी सड़कों का जाल बिछाने की योजना दिखाई दे रही है. जिला किन्नौर में सड़कों की हालत इतनी बुरी है कि लोगों को लंबे सफर में वाहन में झटकों के साथ उनके स्वास्थ्य पर भी असर देखने को मिलता है. सेब के सीजन में वाहनों का दुर्घटनाग्रस्त होना किन्नौर में आम बात सी हो गयी है.

Special coverage of ETV bharat on poor roads of Kinnaur
डिजाइन फोटो.

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर हिमाचल प्रदेश का एक दूरदराज व दुर्गम क्षेत्र है. जहां की आबादी करीब 90 हजार के आसपास है. जिला किन्नौर जितना ही मशहूर अपनी खूबसूरती के लिए पूरे विश्वभर में जाना जाता है उतना ही अपनी खतरनाक सड़कों के लिए भी.

किन्नौर को देशभर में जाना जाता है जहां एक तरफ बड़ी-बड़ी ढांकें व दूसरी तरफ सतलुज की खाई और ऊबड़ खाबड़ सड़कों पर वाहनो में सफर के दौरान लगने वाले झटके. शायद ही किसी ने अनुभव न किया हो किन्नौर के खतरनाक सड़कों पर चलना और किन्नौर प्रवेश द्वार से ही खतरनाक सड़कों का शुरू होना किन्नौर की पहचान भी दिखाती है. आइए किन्नौर की सड़कों के बारे में जानते हैं.

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किन्नौर 1960 के बाद धीरे-धीरे अपने अस्तित्व में आने लगा था और सन् 1962 को जब चीन भारत के बीच जंग छिड़ी हुई थी तो किन्नौर के 90 फीसदी गांव सड़क से वंचित थे और अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र पैदल ही यात्रा करते थे.

हालांकि भारत चीन के युद्ध के समय भी सेना के जवान अपने गोला बारूद व दूसरे हथियारों को चीन भारत सीमा तक घोड़ों पर लादकर ले जाते थे. ऐसे में उन्हें सीमा तक पहुंचने में कई घंटों का समय भी लगता था.

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1962 के युद के बाद भारत सरकार द्वारा किन्नौर में सड़कों के निर्माण का काम शुरू किया गया और इस दौरान किन्नौर के बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर सड़क बनाना भी एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन भारत सरकार ने सीमा की सुरक्षा को देखते हुए चट्टानों को काटकर एक वाहन योग्य सड़क का निर्माण किया. जिसके बाद एनएच-5 का निर्माण हुआ और सेना के गिने चुने वाहन चलने लगे.

जिला किन्नौर में आज एनएच-5 पूरे किन्नौर के बीचों-बीच होकर गुजरता है, लेकिन आज भी किन्नौर के कई ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें नहीं बनाई गई हैं और जिन ग्रामीण क्षेत्रों मे सड़क बनाई गई है वहां सड़कें मजबूत नहीं हैं. न ही शासन प्रशासन की ओर से कोई अच्छी सड़कों का जाल बिछाने की योजना दिखाई दे रही है.

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जिला किन्नौर में सड़कों की हालत इतनी बुरी है कि लोगों को लंबे सफर में वाहन में झटकों के साथ उनके स्वास्थ्य पर भी असर देखने को मिलता है. सेब के सीजन में वाहनों का दुर्घटनाग्रस्त होना किन्नौर में आम बात सी हो गयी है.

हालांकि किन्नौर में जनजातीय क्षेत्र होने की वजह से करोड़ों रूपये सड़कों के निर्माण व मुरम्मत के लिए आता है, लेकिन आज दिन तक सड़कें जैसी की तैसी हैं. जिसका खामियाजा आज तक किन्नौर की जनता भुगत रही है और कच्ची सड़कों पर सफर कर रही है.

जिला में गर्मियों के मौसम में सड़कों पर टायरिंग का काम होता रहता है, लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग इस टायरिंग मे कितनी अच्छी गुणवत्ता वाला सामान लगाता है. इस विषय को समझना थोड़ा कठिन इसलिए है, क्योंकि सर्दियों में जैसे ही बर्फबारी शुरू होती है वैसे ही सड़कों की टायरिंग उखड़कर सड़कों की हालत खस्ता कर देती है.

आज जिला किन्नौर के 65 पंचायतों में सेब का सीजन चला हुआ है. ऐसे में सड़कों के ठीक नहीं होने से लोगों को अपने सेब की फसल मंडी तक पहुंचाने में कई दिन लग जाते हैं. ऐसे में सेब के खराब होने की संभावना भी बनी रहती है.

किन्नौर में सड़कें केवल चुनावी मुद्दा बनकर रह गई हैं न ही सड़कें सही रूप से मजबूत हुई हैं न ही सड़कों पर अच्छी गुणवत्ता वाला सामान प्रयोग में लाया जा रहा है. किन्नौर में सड़कों का झाल चीन सीमा तक भी पूरी तरह से नहीं फैला है. जिससे सेना के जवानों को आज भी सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर सीमा की सुरक्षा के लिए जाना पड़ता है.

किन्नौर के निचार तहसील के रूपी,कल्पा के बारंग, मेबर, शोग जैसे ग्रामीण क्षेत्र के लोग आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं और कई किलोमीटर तक उन्हें पैदल चलकर अपने भारी भरकम सामान उठाकर गांव तक जाना पड़ता है. जिसमें कई घंटों का समय लगता है.

वहीं, सड़कों की दुर्दशा खराब होने से मरीजों को भी मुख्य चिकित्सालय तक पहुंचने तक परेशानियां आती हैं. वहीं, सड़कों की हालत खराब होने से हर वर्ष वाहनों की दुर्घटनाएं भी होती हैं. जिसमे कई घरों के दिये बुझ गए हैं, लेकिन सरकार की सड़कों के जाल बिछाने की योजना किन्नौर में अब तक पूरी तरह सफल होता नहीं दिख रहा है.

इस संदर्भ में एसडीएम कल्पा मेजर अवनिंदर शर्मा ने कहा कि जिला किन्नौर की सड़कें काफी गंभीर हैं. इसको देखते हुए प्रशासन व बीआरओ की कई बार बैठकें भी हुई हैं और सड़कों को दुरुस्त करने का काम जारी है. जल्द ही सड़कों के जाल को पक्का करने का काम शुरू किया जाएगा. जिससे सेब सीजन व आम लोगों को सफर में दिक्कतें नहीं होंगी.

वहीं, दूसरी ओर कार्यकारी उपायुक्त किन्नौर अश्वनी कुमार ने कहा कि किन्नौर के अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र चीन सीमा से लगते हैं. ऐसे में भारत सरकार बीआरओ व सेना के जवानों को अच्छी सड़क निर्माण के लिए धनराशि दे रहा है.

उपायुक्त अश्वनी कुमार ने कहा कि वहीं, जिला प्रशासन भी लगातार सड़क पक्की करने के लिए तमाम तरीके से काम कर रहा है और आने वाले समय में किन्नौर का हर ग्रामीण क्षेत्र सड़क सुविधा से जुड़ेगा जिसके लिए सरकार द्वारा पूरी योजना तैयार की गई है.

Last Updated : Oct 3, 2020, 3:12 PM IST

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