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Seruvalsar lake Kullu: इस झील से जुड़ी हैं कुछ अविश्वसनीय कहानियां, हजारों की संख्या में पहुंचते हैं पर्यटक

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Published : Jan 21, 2022, 8:13 PM IST

Updated : Jan 22, 2022, 7:59 AM IST

आपने आज तक कई चमत्कारी झीलों के बारे में सुना होगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी झील के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आप यकीनन नहीं जानते होंगे. सुनने में यह थोड़ा अजीब जरूर लगेगा, लेकिन यह सच्चाई है. यह झील (Seruvalsar lake Kullu Himachal Pradesh) जिला कल्लू के उपमंडल बंजार के जलोड़ी दर्रा से 5 किलोमीटर (Seruvalsar lake near shoja in himachal) की दूरी पर स्थित है और यहां पर हर साल झील के दीदार के लिए देश-विदेश के सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है.

Seruvalsar lake of Kullu Himachal Pradesh
सरयोलसर झील कुल्लू.

कुल्लू:वैसे तो आपने आज तक कई चमत्कारी झीलों के बारे में सुना होगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी झील के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आप यकीनन नहीं जानते होंगे. यह झील हिमाचल के कुल्लू जिले (Seruvalsar lake Kullu Himachal Pradesh) में है. कुल्लू के उपमंडल बंजार के जलोड़ी दर्रा से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये झील एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है और यहां हर साल झील के दीदार के लिए हजारों सैलानी आते हैं. इस झील का नाम सरयोलसर झील (Seruvalsar lake) है.

कुदरत की गोद में है झील-कुदरत की गोद में बसी इस झील के आस-पास का नजारा किसी का भी मन मोह लेगा. यहां पहुंचने वाले पर्यटक इस खूबसूरती को कैमरे में कैद करते हैं और खूबसूरत यादों को साथ लेकर जाते हैं. यहां कुदरत के नजारे किसी को भी हैरान कर देंगे. झील चारों ओर से ओक के वृक्षों से घिरी हुई है. सरयोलसर झील का पानी क्रिस्टल की तरह एकदम साफ है. झील के पानी में आपको जरा भी कचरा नजर नहीं आएगा.

वीडियो.

झील के पानी में जब सूरज की किरणें गिरती हैं, तो नजारा अत्यंत खूबसूरत हो जाता है. झील की खूबसूरती तब कई गुना बढ़ जाती है जब यह अपना रंग बदलती है. दरअसल जब मौसम खराब होता है या आसमान में बादल छाए हुए होते हैं, तो झील का रंग हल्का काला हो जाता है, जबकि जब आसमान साफ होता है तो झील शीशे की तरह साफ और चमकदार होती है. सर्दियों के मौसम में यहां भारी बर्फबारी होती है और ये झील भी जम जाती है. ये एक धार्मिक स्थल भी है. यहां इस झील, धार्मिक स्थल से कई किस्से और कहानियां भी मशहूर हैं.

झील की सफाई करती है एक चिड़िया:ये सरयोलसर झील हमेशा साफ रहती है और इसके पीछे की वजह एक नन्हीं चिड़िया है. 'आभी' चिड़िया इस झील में एक तिनका भी नहीं गिरने देती. झील में जैसे ही कोई तिनका गिरता है तो ये चिड़िया इस तिनके को निकालकर झील से बाहर ले जाती है. इस छोटी सी चिड़िया को इसी वक्त देखा जा सकता है. माना जाता है कि ये आभी चिड़िया सरयोलसर में ही पाई जाती है और बहुत कम नजर आती है. लेकिन इस चिड़िया की बदौलत ये झील हमेशा साफ रहती है.

स्थानीय लोगों का दावा:नन्ही आभी के नाम से मशहूर इस चिड़िया ने सदियों से झील का सफाई का जिम्मा संभाला हुआ है. छुई-मुई सी चिड़िया आम लोगों को कम ही नजर आती है. झील में गिरने वाले पत्ते या तिनके को उठाते हुए ही इसे देखा जा सकता है. स्थानीय लोगों का दावा है कि 'आभी' चिड़िया केवल सरयोलसर में ही पाई जाती है.

हजारों की संख्या में पहुंचते हैं पर्यटक:हिमाचल प्रदेश को अपनी प्राकृतिक संपदा के लिए दुनियाभर में जाना जाता है. हजारों की संख्या में पर्यटक हर साल हिमाचल प्रदेश की अद्भुत खूबसूरती और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए पहुंचते हैं. समुद्रतल से लगभग 10,500 फीट की ऊंचाई पर मौजूद (distance of Seruvalsar lake) सरयोलसर झील एक किलोमीटर की परिधि में फैली हुई है. ये इलाका धीरे-धीरे एक पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है, जिसकी बदौलत यहां स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है.

सरयोलसर झील कुल्लू.

सरयोलसर झील के पास बूढ़ी नागिन का मंदिर:सरयोलसर झील के निकट ही यहां की स्थानीय देवी बूढ़ी नागिन को समर्पित एक मंदिर भी है. भक्तों का विश्वास है कि इस झील में एक बूढ़ी नागिन वास करती हैं. स्थानीय लोग बूढी नागिन को इस क्षेत्र का सरंक्षक मानते हैं. देवी बूढ़ी नागिन में लोगों की आस्था का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि लोग शुद्ध घी का सेवन भी पहले नागिन देवी को चढ़ावा देने के बाद ही करते हैं. यहां हर साल बीस से तीस क्विंटल घी का चढ़ावा आता है. इसके अलावा एक मान्यता और भी है कि जो भी इस झील में जाता है वह लौटकर वापस कभी नहीं आता.

स्थानीय देवी बूढ़ी नागिन को समर्पित मंदिर

यहां पर देवी देवता भी शक्ति अर्जित करने के लिए आते हैं और झील में पवित्र स्नान करते हैं. अन्य लोगों का झील के भीतर जाना मना है और सिर्फ देव कार्रवाई के दौरान ही देवता के साथ कुछ हारियान झील में प्रवेश करते हैं. इन दिनों झील बर्फ के कारण ढकी हुई है, लेकिन उसके बाद भी माता बूढ़ी नागिन के दर्शनों के लिए लोग बर्फबारी में पहुंच रहे हैं.

स्थानीय देवी बूढ़ी नागिन को समर्पित मंदिर

पांडवों ने यहां की थी चावल की खेती: फिलहाल इस झील में जाने पर रोक लगी हुई है. माना जाता है कि महाभारत काल के दौरान पांडवों ने यहां काफी समय व्यतीत किया था और यहां चावलों की खेती की थी. वो खेत आज भी यहां नजर आते हैं. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि बूढ़ी नागिन माता के प्रति घाटी के लोगों की काफी श्रद्धा है और बूढ़ी नागिन को देवी देवताओं की माता का दर्जा हासिल है.

कैसे पहुंचें सरयोलसर झील:बंजार के शोजा में (How To Reach Seruvalsar lake) सरयोलसर झील, जलोड़ी पास से लगभग 5 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर पहुंच सकते हैं. शोजा से निकटतम (Seruvalsar lake near shoja in himachal) हवाई अड्डा लगभग 80 किलोमीटर दूर कुल्लू का भुंतर हवाई अड्डा है. शोजा से नजदीकी रेलवे स्टेशन बैजनाथ रेलवे स्टेशन है. यह एक छोटी लाइन का रेलवे स्टेशन है.

सरयोलसर झील कुल्लू.

यहां आने के लिए पठानकोट से ट्रेन मिलती हैं. शोजा पहुंचने के लिए कुल्लू से सीधी बस सेवा उपलब्ध है. कुल्लू हिमाचल प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बस सेवाओं के माध्यम से प्रदेश और कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है. शिमला, पठानकोट, चंडीगढ़ और नई दिल्ली से कुल्लू के लिए बस सेवा उपलब्ध है.

Disclaimer:ETV BHARAT किसी भी मान्यता या कथाओं की पुष्टि नहीं करता है.

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Last Updated : Jan 22, 2022, 7:59 AM IST

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