कुल्लू: सावन में महीने भर लोग भगवान शिव की आराधना करते हैं. आज सावन का तीसरा सोमवार है. सुबह से ही शिव मंदिरों में भक्तों की कतारें लगी हुईं हैं. वैसे तो देवभूमि में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर है. हर एक मंदिर को लेकर कुछ न कुछ मान्यता है. लेकिन इन सभी मंदिरों में बिजली महादेव मंदिर (Famous Temple in Kullu) की अलग ही महत्ता है. इस मंदिर को लेकर जो मान्यताएं हैं वो विज्ञान को तो चुनौती देते ही हैं साथ ही साथ आम लोगों को भी अचंभित कर देते हैं. सावन के सोमवार पर इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. और आज इस पावन अवसर पर हम बिजली महादेव मंदिर की महत्ता के बारे में बात करने जे रहे हैं.
बिजली महादेव मंदिर को लेकर मान्यता: भगवान शिव का यह मंदिर (bijli mahadev temple kullu) हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित है. कुल्लू शहर व्यास और पार्वती नदी के संगम के पास बसा है. इसी संगम पर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है बिजली महादेव का मंदिर. भगवान शिव का ये अद्भूत मंदिर समुद्र तल से करीब 8 हजार फिट की उंचाई पर स्थित है.
यही नहीं सबसे बड़ा कुदरती करिश्मा इस मंदिर को लेकर ये है कि इस मंदिर के जिस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की गई है वहां हर 12 साल में बिजली गिरती है, जिसके चलते शिवलिंग पूरी तरह से खंडित हो जाता है. उस खंडित शिवलिंग को मंदिर के पुजारी द्वारा मक्खन लगाकर वापस जोड़ा जाता है, जो बाद में रहस्मयी रुप से ठोस हो जाता है.
वहीं, इस मंदिर को लेकर कुल्लू के इतिहास से जुड़ी एक और कहानी भी प्रचलित है. माना जाता है कि यह घाटी एक विशालकाय सांप का एक रूप है, जिसका वध भगवान शिव ने किया था. ये विशालकाय सांप कुलांत नामक दैत्य था. दैत्य कुल्लू से अजगर का रूप धारण कर मंडी की घोग्घरधार से होता हुआ लाहौल स्पीति से मथाण गांव आ गया. दैत्य अजगर कुण्डली मार कर व्यास नदी के प्रवाह को रोक कर इस जगह को पानी में डुबोना चाहता था.
दैत्य कुलांत का उद्देश्य यह था कि यहां रहने वाले सभी जीव-जंतुओं को नदी के पानी में डूबो कर मर डाले. भगवान शिव कुलांत के इस विचार से चिंतित हो गए. तब भगवान शिव ने उस राक्षस अजगर को अपने विश्वास में लिया. भगवान शिव ने कुलांत के कान में कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है. इतना सुनते ही जैसे ही कुलांत पीछे मुड़ा तभी शिव ने कुलान्त के सिर पर त्रिशूल से वार कर दिया. त्रिशूल के प्रहार से कुलांत मारा गया.