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25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या: जानिए इस दिन किन पितरों का करते हैं श्राद्ध, करें ये उपाय से घर में आएगी समृद्धि - सर्वपितृ अमावस्या के दिन क्या करें

इन दिनों पितरों की आत्मा की शांति का विशेष पर्व श्राद्ध पक्ष/पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2022) चल रहा है. 25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ ही श्राद्धपक्ष का समापन होगा. श्राद्ध पक्ष या पितृपक्ष में पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार पितरों का श्राद्ध करते हैं. सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध करते हैं, जिनकी मृत्यु की तिथि याद नहीं होती है या फिर तिथि वाले दिन किसी कारण वश श्राद्ध नहीं कर पाते हैं.

Sarva Pitru Amavasya 2022
सर्वपितृ अमावस्या 2022

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Published : Sep 23, 2022, 8:04 PM IST

कुल्लू: देश भर में सनातन रीति का पालन करते हुए इन दिनों पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2022) मनाया जा रहा है. वहीं, सनातन धर्म के अनुसार आश्विन मास की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जानते हैं. इसे महालया अमावस्या भी कहते हैं. इस साल 25 सितंबर 2022, रविवार को सर्वपितृ अमावस्या का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन पितरों का श्राद्ध कर्म करने के साथ उन्हें विदाई दी जाती है. इस दिन ज्ञात और अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध करते हैं.

सर्वपितृ अमावस्या के दिन इन पितरों का करते हैं श्राद्ध: कहा जाता है कि जिन लोगों को पितरों की मृत्यु की तिथि मालूम नहीं है, वो लोग इस दिन श्राद्ध कर सकते हैं. इस दिन श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही पितृगण सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद दे देते हैं.सर्वपितृ अमावस्या के दिन कुछ काम जरूर करना चाहिए. वहीं, कुछ कामों को करने की मनाही होती है.

पशु-पक्षियों को खिलाएं दाना: सर्वपितृ अमावस्या के दिन (Sarva Pitru Amavasya 2022 ) किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) करवाना चाहिए. श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है. इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए.

गंगा किनारे श्राद्ध का विशेष महत्व: यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए. यदि यह संभव न हो तो घर पर भी इसे किया जा सकता है. जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए. भोजन के बाद दान दक्षिणा देकर भी उन्हें संतुष्ट करें. श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए. योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के पश्चात जल से तर्पण करें. इसके बाद जो भोग लगाया जा रहा है उसमें से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का हिस्सा अलग कर देना चाहिए. इन्हें भोजन डालते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए और मन ही मन उनसे श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए.

सर्वपितृ अमावस्या के दिन क्या करें: सर्वपितृ अमावस्या के दिन घर से किसी को भी खाली हाथ न लौटने दें. अगर कोई गरीब, जरूरतमंद आपके द्वार में कुछ मांग रहा है, तो उसे अवश्य ही कुछ न कुछ अपनी योग्यता के अनुसार दें. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते है. सर्वपितृ अमावस्या के दिन तामसिक भोजन के साथ अंडा, मांस, मछली या फिर मदिरा का सेवन न करें. इसके अलावा कुलथी, मसूर की दाल और अलसी का सेवन करने से बचें.

सर्वपितृ अमावस्या के दिन क्या न करें: मान्यता है कि पितरों की विदाई के दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या के दिन बाल और नाखून कटवाने से बचना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ दोष होता है. मान्यता के अनुसार इस दिन किसी भी नई खरीदकरी से भी बचना चाहिए.

सर्वपितृ अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व: सर्वपितृ अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. अमावस्या तिथि पितरों का समर्पित होती है. पितृपक्ष के दौरान सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व (Importance of Sarvapitru Amavasya) होता है, क्योंकि इस तिथि पर सभी पितरों की विदाई की जाती है. सर्वपितृ अमावस्या पर जिन परिजन को अपने किसी पूर्वजों की मृत्यु की तिथि मालूम न हो या फिर किसी परिस्थिति के कारण परिजन का श्राद्ध नहीं कर सके हैं वे सर्वपितृ अमावस्या पर पिंडदान और तर्पण कर सकते हैं. सभी पितरों को इस पितृपक्ष की अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है. सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर पितर अपने परिजनों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हुए स्वर्गलोक के लिए प्रस्थान करते हैं.

पितृ विसर्जन 2022 तिथि और समय: हिंदू पंचाग के अनुसार इस साल अश्विविन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 25 सितंबर की सुबह 3 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है. इसका समापन 26 सितंबर की सुबह 3 बजकर 22 मिनट पर होगी.

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