किन्नौर:देश व प्रदेश में हर जिले का एक मुख्यालय होता है जहां जिला के जिलाधीश, चिकित्सालय, विभिन्न कार्यालय, व्यापारी, शिक्षण संस्थान से लेकर राजनीति के विशेषज्ञ, हर तबके का व्यक्ति आपको मिलेगा. ऐसे में सरकारें भी देश प्रदेश के जिला मुख्यालयों के सौंदर्यीकरण, व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान देता है, लेकिन आज आपको देश के अंतिम छोर जनजातीय जिला किन्नौर के मुख्यालय रिकांगपिओ के हालातों से भी रूबरू करवाते हैं.
जो बीते कई वर्षों से अपने बुरे हालातों को दर्शाता दिख रहा है. जिला किन्नौर के मुख्यालय रिकांगपिओ में सभी बड़े अधिकारी, राजनेता, चिकित्सक, बड़े-बड़े व्यापारी से लेकर विभिन्न क्षेत्रों के लोग रहते हैं और बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटक भी एक बार रिकांगपिओ के नाम सुनकर इस स्थान को देखने जरूर आते हैं, लेकिन जब कोई यहां पहुंचता है तो कई बार मायूस होकर वापस लौट जाता है.
चारों ओर बर्फ की पहाड़ियों से ढके रिकांगपिओ शहर को कई वर्षों से गंदगी, बाजार की अव्यवस्था, शहर के इर्द गिर्द बने बिना प्लानिंग के भवन, तंग गलियां, कच्चे मार्ग, गंदी नालियां, बस ठहराव की अच्छी व्यवस्था का न होना, पर्यटकों के ठहराव के लिए कोई अच्छा स्थान न होना, वाहनों की पार्किंग की अव्यवस्था, बाजार के शौचालयों की हालत खस्ता, पब्लिक टैब में पानी नहीं, बाजार में फुटपाथ का टूटा होना, मानो शायद इसी शहर में असुविधाओं का अंबार हो.
जिला किन्नौर का मुख्यालय रिकांगपिओ 90 के दशक के बाद देश प्रदेश में लोगों की जुबान पर आया और रिकांगपिओ बाजार में 90 के दशक के बाद विकसित होने लगा. इससे पूर्व यह एक छोटा सा कस्बा था जहां केवल आठ से दस छोटी दुकानें होती थी, लेकिन आज रिकांगपिओ बाजार का क्षेत्र काफी बड़ा हो चुका है और जिला के सभी बड़े कार्यालय भी यहां मौजूद हैं.