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हिमाचल प्रदेश पुलिस के कर्मचारियों के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं: निगम भंडारी

युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निगम भंडारी ने रिकांग पिओ में प्रेसवार्ता (Youth Congress press conference kinnaur) के दौरान कहा कि 27 नवंबर को हिमाचल प्रदेश सरकार (Himachal Pradesh Government) ने जेसीसी मीटिंग के दौरान कई अहम फैसले लिए जिनसे कर्मचारी वर्ग में काफी रोष है. प्रदेश सरकार द्वारा जेसीसी की बैठक में लिए गए फैसले जयराम सरकार की प्रशासनिक विफलता का जीता जागता सबूत है. इसमें सबसे ज्यादा नाराजगी पुलिस विभाग के कर्मचारियों में है.

Himachal Pradesh Youth Congress
युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निगम भंडारी

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Published : Nov 29, 2021, 5:28 PM IST

किन्नौर: हिमाचल प्रदेश पुलिस की प्रोबेशन अवधि (Himachal Pradesh Police Probation Period) को कम न करने के सरकार के फैसले का हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस (Himachal Pradesh Youth Congress) ने कड़ा विरोध किया है. युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निगम भंडारी ने रिकांग पिओ में प्रेसवार्ता (Youth Congress press conference kinnaur) के दौरान कहा कि 27 नवंबर को हिमाचल प्रदेश सरकार ने जेसीसी मीटिंग के दौरान कई अहम फैसले लिए जिनसे कर्मचारी वर्ग में काफी रोष है.

प्रदेश सरकार द्वारा जेसीसी की बैठक में लिए गए फैसले जयराम सरकार की प्रशासनिक विफलता का जीता जागता सबूत है. इसमें सबसे ज्यादा नाराजगी पुलिस विभाग के कर्मचारियों में है. पुलिस कर्मियों की लंबे समय से ये मांग रही है कि उनकी प्रोबेशन अवधि जो कि अभी तक 8 वर्ष है, उसे भी अन्य विभागों के कर्मचारियों की तरह कम किया जाए. जहां सभी विभागों का अनुबंध कार्यकाल 3 वर्ष से घटा कर 2 वर्ष किया गया. वहीं, हिमाचल प्रदेश पुलिस का प्रोबेशन पीरियड (Himachal Pradesh Police Probation Period) अभी भी 8 वर्ष ही रखा गया है.

युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष (Youth Congress State President) निगम भंडारी ने कहा कि जेसीसी बैठक के फैसले केवल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) की अनुभवहीनता को दर्शाते हैं और चारों सीटें हारने के बाद बौखलाहट में लिए गए निर्णय लगते हैं. आने वाले विधानसभा के सेशन में युवा कांग्रेस विधानसभा का घेराव करके अन्य मांगों के साथ पुलिसकर्मियों को न्याय दिलवाने की मांग को जोर, जोश और शोर के साथ उठाएगी.

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निगम भंडारी ने कहा कि प्रदेश सरकार आखिर समाज के इन रक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है यह समझ से परे है. जब सभी विभागों के कॉन्ट्रैक्ट अवधि को कम किया गया तो पुलिस विभाग को क्यों अनदेखा किया गया. कोविड के विपरीत समय में यही जवान सड़कों पर खड़े थे और किसी भी प्रकार की इमरजेंसी में पुलिस को ही सबसे पहले याद किया जाता है, तो कवायदें देते वक्त फिर सरकार क्यों इनको भूल जाती है.

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