कुल्लू:प्रदेश सरकार के द्वारा किरतपुर मनाली फोरलेन प्रभावितों की मांगों को अनदेखा किया जाने के चलते अब फिर से फोरलेन प्रभावितों ने सड़कों पर उतरने की तैयारी शुरू कर दी है. जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर के रथ मैदान में 8 जून को संघर्ष समिति के पदाधिकारी को क्रमिक अनशन को शुरू करेंगे और 20 जून तक सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठ कर रोष भी व्यक्त किया जाएगा. अगर इन 12 दिनों में भी सरकार ने फोरलेन प्रभावितों की मांगों पर कोई गौर नहीं किया तो आगामी समय में सरकार के साथ कोई बात न करके प्रभावित सड़कों पर आंदोलन के लिए उतरेंगे.
Fourlane Sangharsh Samiti Kullu: 8 जून से ढालपुर में क्रमिक अनशन पर बैठेंगे फोरलेन प्रभावित - himachal pradesh news
कुल्लू में पत्रकारों को संबोधित करते हुए फोरलेन संघर्ष समिति (Fourlane Sangharsh Samiti Kullu) के अध्यक्ष दिनेश सेन ने कहा कि 24 जून 2021 को भी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस मामले को स्पष्ट रूप से माना कि फोरलेन प्रभावितों को उनके हक मिलने चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ किरतपुर मनाली सड़क से हुए प्रभावितों का ही नहीं है. बल्कि हिमाचल प्रदेश के 48 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जो आने वाले समय में फोरलेन कार्यों से प्रभावित होंगे.
जिला मुख्यालय कुल्लू में पत्रकारों को संबोधित करते हुए (Fourlane Sangharsh Samiti Kullu) फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सेन ने कहा कि 24 जून 2021 को भी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस मामले को स्पष्ट रूप से माना कि फोरलेन प्रभावितों को उनके हक मिलने चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ किरतपुर मनाली सड़क से हुए प्रभावितों का ही नहीं है. बल्कि हिमाचल प्रदेश के 48 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जो आने वाले समय में फोरलेन कार्यों से प्रभावित होंगे.
बीती कांग्रेस सरकार को भी फोरलेन प्रभावितों के गुस्से का शिकार होना पड़ा था और मंडी संसदीय लोकसभा चुनावों में भी भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. लेकिन उसके बाद भी फोरलेन से प्रभावित लोगों के हकों के लिए प्रदेश सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रही है. दिनेश सेन ने कहा कि इस सरकार में भी फोरलेन संघर्ष समिति की 34 बैठकें हो चुकी हैं. 34 बैठकों के बाद भी हिमाचल सरकार आश्वासन देने के अलावा कोई भी को समाधान नहीं निकाल पाई है. अब संघर्ष समिति के सदस्यों ने निर्णय लिया है कि पहले तो 12 दिन का क्रमिक अनशन किया जाएगा और उसके बाद भी सरकार किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. तो सरकार के साथ कोई भी वार्ता न करके प्रभावित सड़कों पर उतर आएंगे.