लाहौल स्पीति: लाहौल घाटी में गत 21 जनवरी के दिन चंद्रा घाटी के नौ देवी-देवता (Poona festival in lahaul spiti) अपने वास स्थान से स्वर्ग प्रवास पर चले गए थे, जिसे गुमाहति कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इन देवी-देवताओं की अनुपस्थिति में प्रेत आत्माओं एवं बुरी आत्माओं का डर बना रहता है. इसलिए बड़े बुजुर्ग, बच्चों व महिलाओं एवं आमजनों को बाहर शोरगुल ना करने की हिदायत देते हैं.
ऐसी मान्यता है कि ये नौ देवी-देवता का परिवार अपने मुख्य राजा घेपन के साथ भोट देश से आ रहे थे. बारालाचा के समीप भारी बर्फबारी के कारण देवी बोटी एवं ग्युंगडुल मरज्ञेद देवी की मां कहीं बर्फ के दरारों में फंस कर रह गई थी. काफी दूरी तय करने तक किसी को भी पता ही नहीं चला कि इनकी मां पीछे रह गई है. काफी देर बाद ध्यान में आया तो देखा कि मां तो साथ में नहीं है , तो वो जरूर किसी मुसीबत में फंसी होगी. दोनों बहनें देवी बोटी एवं ग्युंगडुल अपनी मां को खोजने वापिस पीछे जाकर देखते हैं, तो मां बर्फ की दरारों में बुरी तरह फंसी हुई थी.
दोनों बहनों ने मिलकर मां को बर्फ की दरारों से बाहर निकाला. अब मां को उठाकर आगे चलने की नौबत आई तो दोनों बहनों के बीच बात हुई कि मां को पीठ दिखाना तो अच्छी बात नहीं होगी. चलो दोनों बहनें मां की ओर मुंह करके उठाएंगे और आगे वाली को कदम पीछे की ओर बढ़ाते हुए चलना पड़ेगा. ऐसा आपस में फैसला करके चलने लगे तो थोड़ी दूरी तय करने पर दोनों बहनों की हंसी छूट गई. इस पर उन की मां ने उन दोनों को खुश होकर ये दो वरदान दिये. पहला यह कि दुनिया में चाहे दुखों का पहाड़ ही क्यों ना टूट जाए, लेकिन इंसान की हंसी छूटनी चाहिए.