कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में जहां कोरोना वैक्सीन की पहली डोज का लक्ष्य सरकार के द्वारा हासिल कर लिया गया है तो वहीं, इस वैक्सीनेशन कार्यक्रम में जागरूकता लाने के लिए भी सरकार को ग्रामीण स्तर पर कई प्रयास करने पड़े. इतना ही नहीं यहां एक गांव में वैक्सीनेशन कार्यक्रम को शुरू करने के लिए प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को देवता की भी अनुमति लेनी पड़ी. देवता की अनुमति मिलने के बाद ही यहां वैक्सीनेशन का कार्यक्रम शुरू हो पाया.
जिला कुल्लू की मणिकर्ण घाटी की मलाणा पंचायत जो विश्वभर में अपनी अनूठी बोली के लिए प्रसिद्ध है. तो वहीं यहां का अपना ही एक लोकतंत्र भी पंचायत क्षेत्र में चलता है. जिला कुल्लू में स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस की पहली डोज का लक्ष्य हासिल करने के लिए आशा वर्करों के साथ मिलकर काम करना शुरू किया, लेकिन मलाणा पंचायत पहुंचते ही उनका यह अभियान रुक सा गया.
मलाणा गांव में आज भी कोई भी कार्यक्रम करने से पहले यहां देवता की अनुमति लेना काफी जरूरी है और बिना देव आदेशों के यहां पर ग्रामीण कोरोना की वैक्सीन लगाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे. जिला प्रशासन को भी जब इस बारे सूचना मिली तो वे भी हैरान रह गए. ऐसे में ग्रामीणों को वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करने के लिए डीसी कुल्लू को अपनी टीम के साथ मलाणा गांव पहुंचना पड़ा.
मलाणा गांव में उन्होंने देवता के कारदार व अन्य प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की. उसके बाद स्थानीय ग्रामीणों व देव प्रतिनिधियों के द्वारा देवता जमदग्नि से इस बारे अनुमति मांगी गई और देवता ने भी कोरोना वैक्सीन लगाने के बारे में अपनी अनुमति दी.
उसके बाद ग्रामीणों कोरोना का वैक्सीन लगाने के लिए तैयार हुए और स्वास्थ्य विभाग की टीम भी लगातार तीन दिनों तक गांव में डटी रही. जिसका परिणाम यह निकला कि आज मलाणा में 200 से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज प्रदान की गई और जिला प्रशासन का यह अभियान भी पूरा हो सका.