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पर्यावरण प्रेमी ने बनाई अनोखी राखी, कलाई पर सजने के बाद बढ़ाएगी आंगन की शोभा - मौली के धागे

कोरोना महामारी के कठिन दौर में हरकोई जीवन को बचाने की जद्दोजहद में लगा हुआ हैं. वहीं, मनाली की कल्पना ठाकुर इस बार राखी के त्योहार पर पर्यावरण संरक्षण के लिए एक नई पहल कर रही हैं. कल्पना ऐसी राखियां तैयार कर रही हैं, जिन्हें पहनने के बाद गमले में रोपा जा सकेगा, जिससे एक पौधा तैयार किया जा सकेगा.

plant will be grown from rakhi
कल्पना ठाकुर, प्रर्यावरण प्रेमी

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Published : Jul 29, 2020, 9:28 PM IST

कुल्लू: पर्यटन नगरी मनाली की रहने वाली कल्पना ठाकुर पर्यावरण संरक्षण प्रेम में सराहनीय प्रयास करती रहती हैं. चाहे वो प्लास्टिक का पुनः प्रयोग हो या व्यर्थ सामग्री से बनावटी सामान बनाना हो. इस बार कल्पना राखियों को सभी के लिए प्रेरणा के रूप में लेकर आई हैं.

कल्पना ने अखबार व मिट्टी के मिश्रण से ऐसी राखियों को बनाया है, जिन्हें भाइ अपनी कलाई से उतारने के बाद घर के आंगन की मिट्टी या गमले में दबाकर सुंदर फूल व पौधे तैयार कर सकेंगे. इससे एक ओर पर्यावरण सरंक्षण होगा. वहीं, आपका आंगन भी राखी की खुशबू से महकता रहेगा.

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कल्पना ठाकुर ने बताया कि उन्होंने अखबार व मिट्टी के अलग-अलग मिश्रण को तुलसी, मेथी, गैंदा, ओरिगैनो, ब्लू-बेरी इत्यादि के बीजों के साथ गूंथकर कई आकर्षक आकृतियों का रूप देकर बनाया है, जिसमें उन्होंने वेजिटेबल व अक्रिलिक कलर से सजाया है. डोरी के लिए उन्होंने मौली का उपयोग किया है.

कल्पना के अनुसार राखियों को तैयार करने की विधि थोड़ी कठिन है, लेकिन अगर घर-घर में इसकी कोशिश की जाए, तो राखी की पवित्रता से अपने आसपास के पर्यावरण को भी संतुलित करने में सहायक सिद्ध हो सकता है. कल्पना ठाकुर कहती हैं कि चीन में बनी राखी बेशक आकर्षक हो सकती है, लेकिन वो देश हित व रक्षा बंधन के पावन उत्सव के लिए घातक होंगी. इसलिए कोशिश करें कि राखी के बंधन को एक पावन मौली के धागे के बंधन से मनाए. हमें बंधन के पीछे की भावना का सम्मान करना है न कि महंगे व आकर्षित दिखने वाली रखियों से अपनी वैभवता को दर्शाना है.

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