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किन्नौर में फुलाइच मेला शुरू, ब्रह्मकमल फूल अर्पित कर होती है स्थानीय देवता की पूजा - Phulaich Fair Kinnaur Himachal

किन्नौर के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों फुलाइच मेला शुरू हो गया है. फुलाइच का अर्थ फूलों का मेला है. इस दौरान सभी ग्रामीण किन्नौर की पारम्परिक वेशभूषा पहनकर आते हैं (Phulaich fair begins in Kinnaur) और स्थानीय देवता को ऊंचे पहाड़ों से उठाकर लाए हुए शुद्ध ब्रह्मकमल फूल समर्पित कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं और किन्नौर के पारम्परिक मेले का आयोजन भी होता है. जिला किन्नौर के अंदर फुलाइच मेला गांव के आपसी सामंजस्य व देव समाज को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

Phulaich fair begins in Kinnaur
किन्नौर में फुलाइच मेला शुरू

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Published : Sep 6, 2022, 3:24 PM IST

Updated : Sep 7, 2022, 8:22 AM IST

किन्नौर: जिला किन्नौर के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों फुलाइच मेला शुरू हो गया है. फुलाइच का अर्थ फूलों का मेला है. जिसमें स्थानीय ग्रामीण पहाड़ों से ब्रहाकमल उठाकर अपने देवता को समर्पित करते हैं. इन दिनों जिला किन्नौर के बारंग, पूंनंग, सांगला वैली, हंगरंग वैली में फुलाइच मेला शुरू हुआ है. जिसमें सभी ग्रामीण अपने स्थानीय देवताओं के मंदिर प्रांगण में एकत्रित होते हैं.

इस दौरान सभी ग्रामीण किन्नौर की पारम्परिक वेशभूषा (Phulaich fair begins in Kinnaur) पहनकर आते हैं और स्थानीय देवता को ऊंचे पहाड़ों से उठाकर लाए हुए शुद्ध ब्रह्मकमल फूल समर्पित कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं और किन्नौर के पारम्परिक मेले का आयोजन भी होता है. जिला किन्नौर के अंदर फुलाइच मेला गांव के आपसी सामंजस्य व देव समाज को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

किन्नौर में फुलाइच मेला शुरू

सैकड़ों वर्ष पुराने इस मेले का उद्देश्य गांव की सुख शांति व समृद्धि के लिए होता है. जिसे आज भी जिले के लोग अपने अपने ग्रामीण क्षेत्रों में अपने समय अनुसार मनाते हैं. इस दौरान ग्रामीण अपने खेतीबाड़ी व घर के काम छोड़कर करीब 3 से 5 दिन तक केवल फुलाइच मेले का मंदिर में आनंद लेते हैं और इस मेले में जिले के पारम्परिक खान पान का प्रयोग किया जाता है और देवी देवता ग्रामीणों को आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं.

किन्नौर में फुलाइच मेला शुरू

फुलाइच मेले में बाहरी क्षेत्रों में पढ़ने वाले (Phulaich Fair Kinnaur Himachal) बच्चे व नौकरी पैशा लोगों को भी मेले में आना अनिवार्य होता है यदि कोई व्यक्ति इस मेले में बहुत ही जरूरी कार्य से नहीं आता तो उसके परिवार से किसी भी सदस्य को मेले में आना अनिवार्य होता है अन्यथा मेले में शामिल नहीं होने पर स्थानीय देव समाज जुर्माना भी लगा सकता है.

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Last Updated : Sep 7, 2022, 8:22 AM IST

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