कुल्लू: हिमाचल की पहाड़ियों का आकर्षण कई सालों से देशी व विदेशी सैलानियों को अपनी ओर खींचता रहा है, लेकिन यही आकर्षण अब सैलानियों की जान पर भारी भी पड़ रहा है. दरअसल पिछले दिनों मलाणा की पहाड़ियों पर लापता हुए पश्चिम बंगाल के चार पर्यटक सुरक्षित (4 trekkers traced in Malana) लापता हो गए थे. लापता पर्यटकों की तलाश के लिए हेलीकॉप्टर से इलाके की रेकी की गई थी, जिसमें पाया गया कि सभी पर्यटक स्वस्थ हैं. वहां फंसे सभी पर्यटकों को 13 सितंबर को सुरक्षित निकाल लिया गया. कुल्लू की मणिकर्ण घाटी के मलाणा में पश्चिम बंगाल के चार लापता ट्रेकरों की तलाश में 15 सदस्यों की टीम लगातार जुटी हुई थी.
ऐसे में प्राशसन ने ट्रेकिंग को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया है. दरअसल पहाड़ की भौगोलिक स्थिति की सही जानकारी न होना ट्रेकिंग पर गए सैलानियों के लिए कभी भी हादसे का कारण बन सकता है. ऐसे में कुल्लू जिला प्रशासन की भी मुश्किलें कई बार बढ़ जाती है और ट्रेकिंग रूट पर गए सैलानी रास्ता भटकने के कारण हादसे का भी शिकार हो जाते हैं.
ट्रेकिंग से पहले पंजीकरण जरूरी: अब कुल्लू जिला प्रशासन के द्वारा एक पोर्टल भी तैयार किया गया है और जिला कुल्लू के पहाड़ों पर ट्रेकिंग के शौकीनों को पहले उसमें पंजीकरण करना भी अनिवार्य (New guideline for trekking in Himachal) होगा. ताकि अगर कोई पर्यटक ट्रेकिंग रूट पर भटकता है तो उसे तलाश करने में भी रेस्क्यू टीम को आसानी हो सके. क्योंकि बीते दिन भी ऐसा ही मामला गत दिन पेश आया.
रेस्क्यू टीम को होती है परेशानी: कुल्लू में 18 हजार फीट की ऊंचाई स्थित रत्नी टिब्बा को ट्रेक करने के लिए निकला दल पुलिस-प्रशासन की अनुमति के बिना ही गया था. जिस कारण उनकी खोज करने के लिए हवाई रेकी का सहारा लेना पड़ा है. प्रशासन ने ट्रेकिंग रूट पर निकलने वाले ट्रैकरों के लिए पंजीकरण और प्रशासन को सूचना देने का प्रावधान किया है. उसके बाद ही पर्यटक ट्रेकिंग रूट पर जा सकते हैं. अगस्त माह में छह सदस्य मणिकर्ण घाटी के मलाणा क्षेत्र होते हुए रत्नी टिब्बा गए.
रास्ते में जब ये सभी अलग-अलग हुए तो चार सदस्यों का पता नहीं चल पाया. इसके बाद दो सदस्य 9 सितंबर को वापस लौटे. उन्होंने प्रशासन को बताया कि ट्रैकिंग पर गए चार सदस्य टिब्बा के पास कहीं खो गए हैं. इसमें कोलकाता के रहने वाले 43 वर्षीय ट्रैकर अभिजीत बानिक, 42 वर्षीय चिंमय मंडल, 37 वर्षीय दिबाश दास और 31 वर्षीय बिनाय दास शामिल थे. प्रशासन ने एयर फोर्स से हवाई रेकी करने का आग्रह किया. जिस कारण एयर फोर्स के दो हेलीकाप्टर ने हवाई रेकी कर लापता ट्रैकरों को टिब्बा के पास घाटी में ट्रैक किया.
कुल्लू जिले में ट्रेकिंग रूट पर कब-कब फंसे ट्रैकर्स: कुल्लू जिले के चंद्रखणी दर्रे (Chandrakhani Pass in Kullu District) में करीब 70 घंटे से लापता आठ संत लोंगोवाल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी संगरूर के छात्रों को हेलीकॉप्टर के जरिए रेस्क्यू किया गया था. समुद्र तल से करीब 12 हजार फीट ऊंचे चंद्रखणी जोत पर फंसे इंजीनियरिंग छात्रों को मौत को मात देकर निकाला गया. 11 मार्च 2016 को यह घटना घटी थी जिसके बाद प्रशासन ट्रैकिंग रूटों पर अलर्ट हो गया था. 17 अप्रैल 2015 को बशलेऊ जोत में भी ट्रैकर फंसे थे, जिन्हें भी सुरक्षित निकाला गया था. अब अली रत्नी टिब्बा में कोलकाता के चार ट्रैकर लापता हो गए थे, जिन्हें बाद में खोज लिया गया. वहीं, 3 दिन पहले भी मणिकर्ण की पहाड़ियों पर दिल्ली के 2 पर्यटक लापता हो गए थे, जिन्हें स्थानीय पुलिस व रेस्क्यू टीम के द्वारा तलाश लिया गया था.
हिमाचल के मशहूर ट्रेकिंग रूट: कुल्लू-मनाली व लाहौल-स्पीति के मशहूर ट्रेक रूट (Famous Trekking Routes in Himachal) में मनाली-हामटा पास-छतड़ू, मनाली-चंद्रखणर मलाणा, मनाली-भृगु-रोहतांग, मनाली-दशौहर-कोकसर, मनाली-रानीसुई, मनाली-बडाभंगला-बीड मणिकर्ण-खीरगंगा-पीन वैली, मनाली-सोलंगनाला-ब्यासकुंड, मनाली-हामटा-इंद्रकिला, उदयपुर-मयाडनाला-कांगला पास, कोकसर-योचे-दारचा, बारालाचा-जांस्कर, किबर-छमोरेरी-लद्दाख ट्रेक, अली रत्नी टिब्बा आदि शामिल हैं. बिना गाइड व प्रशासन की अनुमति के इन ट्रैक पर निकलने की गलती नहीं करनी चाहिए.