किन्नौर:भारत के प्रथम मतदाता मास्टर श्याम सरन नेगी (india first voter shyam saran negi) लोगों और नए मतदाताओं को एक बार फिर मतदान के प्रति जागरूक करते नजर आए. सोमवार को भारत के प्रथम मतदाता से 18 साल पूरा कर पहली बार मतदाता सूची में शामिल नव युवा मतदाता उनसे मिलने के लिए उनके निवास स्थान कल्पा पहुंचे और मुलाकात (Kinnaur new voters met india first voter) की. इस दौरान श्याम सरन नेगी ने उन्हें और सभी लोगों को मतदान के प्रति जागरूक किया और मताधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित भी किया.
मास्टर श्याम सरन नेगी ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि आज देश आजादी के बाद से लोकतंत्र की प्रक्रिया से देश के अंदर शासन चलाता है. जिसमें जनता के मतदान से सरकार बनती है और देश का शासन-प्रशासन चलता है. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे देश चलता है जिसमें मतदाता की अहम भूमिका रहती (shyam saran negi appealed everyone to vote) है. ऐसे में देश के हर मतदाता को अपने मत का प्रयोग कर सही कैंडिडेट को चुनना चाहिए. उन्होंने कहा लोकतंत्र का सबसे बड़ा महापर्व चुनाव होता है.
नए मतदाताओं ने भारत के प्रथम मतदाता से की मुलाकात. जिसमें मतदाताओं को सरकार चुनने की शक्ति मिलती है और आज के नए युवा तो देश का भविष्य है. ऐसे में इस लोकतंत्र के महापर्व में सभी को भाग लेना चाहिए. श्याम सरन नेगी ने कहा कि प्रदेश में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने है. ऐसे में प्रदेश के सभी नए मतदाता जो इस बार विधानसभा चुनावों में अपने मत का प्रयोग करेंगे उन सभी से उन्होंने बढ़चढ़ कर चुनावों में समय से निकालकर मतदान केंद्रों में जाकर अपने कीमती मत का प्रयोग करने का आग्रह किया है, ताकि लोकतंत्र के इस महापर्व में सभी अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सके.
आजाद भारत के पहले वोटर बने थे श्याम सरन नेगी: बता दें कि ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भारत में फरवरी 1952 में पहला आम चुनाव हुआ था. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि भारत के जनजातीय इलाके भी आम चुनाव में हिस्सा लें. चूंकि जनजातीय इलाकों में बर्फबारी के कारण आवागमन अवरुद्ध हो जाता है, लिहाजा इन इलाकों में भारत के अन्य हिस्सों से पहले ही मतदान का फैसला लिया गया था और 25 अक्टूबर 1951 को जनजातीय क्षेत्र में चुनाव आयोजित किए (first voter of india) गए.
पहला जनजातीय इलाका किन्नौर: देशभर के जनजातीय इलाकों में सबसे पहले हिमाचल के किन्नौर इलाके को ही चुना गया. उस समय किन्नौर में स्कूल टीचर श्याम सरन नेगी को पोलिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी निभानी थी. सुविधाओं और संसाधनों की कमी के साथ ही किन्नौर का इलाका भी दुर्गम था. मतपेटी तो थी नहीं, ऐसे में श्याम सरन नेगी ने टीन के कनस्तर को मतपेटी का रूप दिया. अब मतदान की बारी थी. स्थितियां ऐसी थीं कि कोई भी मतदान के लिए मौजूद नहीं था, तो श्याम सरन नेगी ने ही सबसे पहले मतदान किया. यह 25 अक्टूबर 1951 की बात थी. खुद वोट डालने के बाद श्याम शरन नेगी ने महीने भर पूरे कबायली इलाके में घूम-घूम कर लोगों को मतदान का महत्व समझाया और उनसे मतदान करवाया.
श्याम सरन नेगी को मिली पूरे देश में सराहना: श्याम सरन के इस प्रयास को देशभर में सराहना मिली थी. भारत में लोकतंत्र की मजबूती और मतदान को लेकर श्याम सरन के योगदान पर उन्हें कई बार सम्मानित किया गया. उन पर भारत के चुनाव आयोग ने बेहद भावुक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की है, जिसे अब तक यू-ट्यूब पर लाखों लोग देख चुके हैं. हर चुनाव में वोट डालने के लिए पहुंचने वाले नेगी लोकतंत्र में भारतीय आस्था के प्रतीक बन चुके हैं. उन्हें मतदान केंद्र तक लाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी खास वाहन का इंतजाम करते हैं. साथ ही रेड कारपेट भी बिछाया जाता है.
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