कुल्लू: बसों में महिलाओं के साथ घटने वाली वारदातों और सेब से लदे ट्रकों के अचानक गायब होने वाली घटनाओं को अब आसानी से रोका जा सकेगा. हिमाचल में सभी नई, पुरानी बसों और ट्रकों को जीपीएस सिस्टम से लैस किया जाएगा, जो पुलिस कंट्रोल रूम से जुड़े होंगे.
हालांकि पहले चरण में टैक्सियों को इस दायरे में लाने की प्रक्रिया तेजी से शुरू कर दी गई है. जबकि दूसरे चरण में पुरानी बसों और ट्रकों को शामिल किया जाएगा. अगर कोई इस प्रक्रिया को नहीं अपनाएगा तो उसका पंजीकरण रद्द हो सकता है. नए बस-ट्रकों का बिना जीपीएस के पंजीकरण नहीं करवाया जाएगा. सुरक्षा की दृष्टि से लगाए जा रहे जीपीएस से जहां बसों में सफर करने वाली सवारियां खासकर महिलाओं की सुरक्षा पर नजर रहेगी और साथ ही बस हादसों को भी आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा.
आए दिन हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों सें सेब से भरे कई ट्रक गायब होते आए हैं. इस साल सेब सीजन में कुल्लू से दिल्ली सब्जी मंडी को भेजे गए दो ट्रक रास्ते से अचानक गायब हो गए थे. जिसमें सैकड़ों सेब के बॉक्स रखे गए थे. लिहाजा ऐसी वारदातों को रोकने के लिए जीपीएस सिस्टम एक अच्छी पहल है. परिवहन विभाग ने इसको लेकर प्रक्रिया आरंभ कर दी है.
हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत होने वाली नई टैक्सियों के लिए जीपीएस उपकरण अनिवार्य कर दिया गया है. परिवहन विभाग ने इन टैक्सियों में जीपीएस उपकरण लगाने के लिए पांच कंपनियों को अधिकृत किया है. क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी डॉ. अमित गुलेरिया ने बताया कि नई टैक्सियों को इन्हीं पांच कंपनियों में से किसी एक से जीपीएस उपकरण लगवाने होंगे. इनके अलावा अन्य कंपनियों के जीपीएस मान्य नहीं होंगे.
डॉ. अमित गुलेरिया ने बताया कि जीपीएस लगाने के लिए अधिकृत पांच कंपनियों में आरडीएम एंटरप्राइजेज, यूआरएल इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड, मार्केट इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड, कंटेंट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड और बीएनडी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.