कुल्लू: बीते 7 सालों से अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे फोरलेन प्रभावित अब जहां क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. वहीं, अब उन्होंने यह भी निर्णय लिया है कि 7 सालों तक उनकी इस दशा के जिम्मेदार नेताओं का भी घेराव किया जाएगा. क्रमिक भूख हड़ताल के माध्यम से प्रदेश सरकार को भी चेतावनी दी जा रही है कि अगर इस बीच उनके हक में कोई फैसला नहीं लिया गया तो आने वाले विधानसभा चुनावों में उन्हें इसका खामियाजा भुगतना होगा. बीते 7 सालों से फोरलेन प्रभावित जहां अपने अधिकारों के लिए प्रदेश सरकार से वार्ता कर रहे थे. वहीं, अब 7 सालों बाद उन्हें भूख हड़ताल जैसे कठिन निर्णय लेने के लिए भी मजबूर होना पड़ा. ऐसे में आने वाला वक्त प्रदेश सरकार के लिए कैसा रहेगा. यह सब भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है, लेकिन जिस तरह से प्रभावितों के भीतर रोष पनप रहा है इससे पता चलता है कि सरकार को इनके गुस्से का शिकार होना पड़ सकता है.
कुल्लू में 12 दिनों की क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे फोरलेन प्रभावित, बोले: सरकार को होना पड़ेगा प्रभावितों के गुस्से का शिकार - Fourlane Sangharsh Samiti Protest in Kullu
बुधवार को जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर मैदान में फोरलेन संघर्ष समिति (Fourlane Sangharsh Samiti Kullu) के द्वारा एक धरना प्रदर्शन का भी आयोजन किया गया. वहीं, एक रैली ढालपुर से होते हुए डीसी कार्यालय तक निकाली गई. डीसी के माध्यम से एक ज्ञापन राष्ट्रपति को भेजा गया और मांग रखी गई कि जिस तरह से प्रभावितों के लिए केंद्र सरकार के द्वारा कानून लागू किया गया है उसका उसी तरीके से पालन भी किया जाना चाहिए.
बुधवार को जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर मैदान में फोरलेन संघर्ष समिति (Fourlane Sangharsh Samiti Kullu) के द्वारा एक धरना प्रदर्शन का भी आयोजन किया गया. वहीं, एक रैली ढालपुर से होते हुए डीसी कार्यालय तक निकाली गई. डीसी के माध्यम से एक ज्ञापन राष्ट्रपति को भेजा गया और मांग रखी गई कि जिस तरह से प्रभावितों के लिए केंद्र सरकार के द्वारा कानून लागू किया गया है उसका उसी तरीके से पालन भी किया जाना चाहिए. जिला कुल्लू फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सेन ने कहा कि 12 दिनों तक रोजाना 15 सदस्यों की टीम क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठेगी और उसके बाद भी आंदोलन की रणनीति जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि फोरलेन प्रभावितों के हकों के लिए कोई भी राजनीतिक दल आगे नहीं आ रहा है. ऐसे में आने वाले समय में राजनीतिक दलों को इसका खासा नुकसान उठाना पड़ेगा.
गौर रहे कि किरतपुर से मनाली फोरलेन में जहां 20 हजार (Fourlane Sangharsh Samiti Protest in Kullu) लोग प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं और 30 हजार लोग भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं. हिमाचल प्रदेश के 48 विधानसभा क्षेत्रों में आने वाले समय में फोरलेन का निर्माण कार्य किया जाएगा. इसके लिए दो जगह पर सड़क के डिमार्केशन का कार्य शुरू हो चुका है, जबकि तीन अन्य फोरलेन सड़क निर्माण की प्रक्रिया भी पूरी की जा रही है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में फोरलेन निर्माण से प्रभावित होने वाले की संख्या करीब 10 लाख की होगी. अगर केंद्र सरकार के द्वारा जारी नियमों के तहत हिमाचल में चार गुना मुआवजा व अन्य कानून फोरलेन प्रभावित के हकों के लिए लागू नहीं किया गया तो इससे हिमाचल प्रदेश के 10 लाख परिवार प्रभावित होंगे.