हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / city

15 साल से पानी की टूटे टैंक में रहने को परिवार मजबूर, सरकारों से मिला सिर्फ आश्वासन

जियालाल गरीबी का बोझ उठाए 15 वर्ष पूर्व जब अपने घर से अलग हुआ तो उसके पास14 बिस्वा जमीन के छोटे से टुकड़े के अलावा और कुछ भी नहीं था. इसलिए जियालाल ने खेत में खंडहर हो चुकी भू संरक्षण विभाग की पानी की टंकी को आशियाना बना लिया. जियालाल के इस आशियाने में न तो बिजली है और न ही पानी, शौचालय की तो दूर की बात है. बिजली न होने के कारण शाम ढलने से पहले ही दोनों बच्चों को मजबूरन होमवर्क पूरा करना पढ़ता हैं.

family-of-jiyalal-has-been-living-in-a-broken-tank-of-water-for-last-15-years
जियालाल का परिवार

By

Published : Mar 3, 2021, 5:08 PM IST

आनीःगरीबी का आलम कुछ ऐसा हैं की एक परिवार पिछले 15 सालों से एक टूटे टैंक में रहने को मजबूर है. ये टैंक 6 फीट चौड़ा और 8 फीट लंबा है. जिसमें जिला कुल्लू की आनी खंड की कुठेड पंचायत के राई रेड गांव के जियालाल का परिवार करीब एक दशक से रह रहा है. जिसकी तरफ न सरकार ध्यान दे रही है और न ही उनकी कोई योजना इन तक पहुंच रही है.

जियालाल गरीबी का बोझ उठाए 15 वर्ष पूर्व जब अपने घर से अलग हुआ तो उसके पास 14 बिस्वा जमीन के छोटे से टुकड़े के अलावा और कुछ भी नहीं था. इसलिए जियालाल ने खेत में खंडहर हो चुकी भू संरक्षण विभाग की पानी की टंकी को आशियाना बना लिया.

वीडियो रिपोर्ट.

गांव वालों ने अस्थाई छत डाली

टंकी पर गांव वालों ने अस्थाई छत डाल दी, जिसमें जियालाल पत्नी रीता देवी और दो छोटे बच्चों के साथ रहने लगा. बेटी पम्मी अब 13 साल और बेटा अमन 12 साल का हो चुका है. दोनों गांव के पास सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं.

बिजली पानी की समस्या

जियालाल के इस आशियाने में न तो बिजली है और न ही पानी, शौचालय की तो दूर की बात है. बिजली न होने के कारण शाम ढलने से पहले ही दोनों बच्चों को मजबूरन होमवर्क पूरा करना पढ़ता हैं.

नेता से मिले आश्वासन और वायदे

ऐसा नहीं है कि नेता या जनप्रतिनिधि इस परिवार की हालत के बारे में नहीं जानते हो. आश्वासन और वायदे के अलावा इस परिवार को सरकार और प्रशासन के अलावा और कुछ नहीं मिला.

विधायक ने नहीं ली सुध

ग्रामीणों का कहना कि पिछले 15 सालों से टंकी में रह रहे परिवार के बारे आनी विस क्षेत्र के किसी भी विधायक ने सुध नहीं ली, जबकि वर्तमान विधायक का घर भी प्रभावित परिवार के घर से मात्र 15-20 किमी की दूरी पर है.

एक किश्त मिली पर घर नहीं बना

वहीं, जियालाल का कहना है कि 37500 की किश्त मिलने के बाद उसने सात हजार रुपये से घर बनाने की जगह ठीक की है. जिसके बाद उसने घर बनाने को तीन किमी दूर से आठ चट्टे पत्थर के निकाले हैं, जिनको निकालने के लिए 6 हजार रुपये और घर तक पहुंचाने का खर्चा करीब 6500 रुपये आया है. जबकि दस हजार रुपयों की उसने लकड़ी खरीदी है और पांच हजार रुपये की चादरें खरीदी गई हैं.

जियालाल का कहना है कि उसके बाद उसे विभाग ने कुछ नोटिस भेजे. जिसमें अशिक्षित होने के चलते उन्होंने तत्कालीन प्रधान से वे नोटिस पढ़ाए, लेकिन नोटिस का जबाव देने के लिए उसका साथ किसी ने नहीं दिया.

काश ! दूसरी किश्त भी मिल जाती

जियालाल का कहना है कि दूसरी किश्त मिलने से वो अपना घर पूरा बना सकता है, लेकिन उसे कई तरह के कानून समझाए गए. शिक्षित न होने के चलते वे इस पहली को नहीं समझ पाया और मजबूरन मकान का काम रोकना पड़ा और टंकी के अंदर की रहने को मजबूर होना पड़ा.

ये भी पढ़ें:पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ने ली कोरोना वैक्सीन की पहली डोज

इसके अलावा आनी प्रशासन ने स्वयं उस टंकी में रह रहे परिवार को देखा और कल्याण विभाग की ओर से जारी मकान बनाने की रकम 37500 रुपये के एवज में निर्माणाधीन घर के समक्ष तस्वीरें खींची गई थी, लेकिन इस रकम की जियालाल को सिर्फ एक ही किश्त दी गई थी.

ये भी पढ़ें:कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने पर प्रदेश में बढ़ेगी सख्तीः CM जयराम ठाकुर

ABOUT THE AUTHOR

...view details