कुल्लूःजिला की लाहौल घाटी में फागली उत्सव का आगाज हो गया है. वहीं, कुल्लू के विभिन्न इलाकों में रहने वाले लाहौल के निवासियों की ओर से भी इसे मनाया जा रहा है. इस दौरान जूब बांटकर फागली उत्सव मनाया जाता हैं और बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया जा रहा है.
लाहौल के पट्टन घाटी के मूलिंग, गोशाल, जहालमा, कीर्तिंग, कमरिंग, थिरोट और उदयपुर में बड़े ही उत्साह के साथ लोग फागली त्योहार मना रहे हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार अमावस्या के बाद पहले दिन लोग स्थानीय मंदिर में एकत्रित होकर पूजा-अर्चना करते हैं. उसके बाद सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है.
पारंपरिक पकवानों का आदान-प्रदान
स्थानीय लोग इस अवसर पर अपने-अपने ईष्ट देवी-देवताओं की पूजा के बाद गांव के सभी घरों में जाकर पारंपरिक पकवानों का आदान-प्रदान करते हैं. फागली के दिन घाटी के लोग बुजुर्गों को जूब भेंट कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं.
घाटी में फागली के कई नाम
लाहौल में फागली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इनमें कुहन, कुस, फागली, लोसर व जुकारू शामिल हैं. मान्यता है कि सर्दियों में बर्फ ज्यादा पड़ने से लोग कई महीने तक एक-दूसरे से अलग-थलग पड़ जाते थे. राक्षसों और आसुरी शक्तियों के आतंक के कारण लोग घरों से बाहर कम ही निकलते थे. ऐसे में लोग ईष्ट देवी-देवताओं से प्रार्थना करते थे कि उनकी रक्षा करें.