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कुल्लू में फागली उत्सव: मुखौटे लगाकर ग्रामीणों ने किया नृत्य, गालियां देकर भगाई गई बुरी शक्तियां - हिमाचल देव परंपरा

बंजार घाटी में फागली उत्सव मनाया (FAGLI FESTIVAL CELEBRATED IN BANJAR) जा रहा है. जिसमें गांव के कुछ लोग मुखौटा पहनकर देवता के साथ नृत्य करते हैं और ग्रामीण इस नृत्य का आनंद लेते हैं. फागली उत्सव के दौरान ग्रामीण मुखौटे पहन कर देवता के प्रांगण में नृत्य करते हैं. इस उत्सव में बुराई पर अच्छाई और पाप पर पुण्य अधर्म पर धर्म की विजय गाथाओं का गुणगान किया जाता है. इन गाथाओं को स्थानीय लोग परंपरागत तरीके से ढोल-नगाड़े, करनाही, शहनाई, डफला, भाणा, कांसा और काहुली की कलरव ध्वनि के साथ धूमधाम से गाते हैं और देवता की पालकी के साथ भाग लेते हैं.

FAGLI FESTIVAL CELEBRATED IN BANJAR
कुल्लू में फागली उत्सव

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Published : Feb 14, 2022, 7:05 PM IST

कुल्लू:जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में शनिवार से ही ग्रामीण इलाकों में फागली उत्सव की (FAGLI FESTIVAL CELEBRATED IN BANJAR) धूम मची हुई है. फागली उत्सव के चलते ग्रामीण इलाकों में मेलों का माहौल बन गया है और यहां मुखौटे पहनकर ग्रामीण पुरानी परंपरा को निभा रहे हैं. ग्रामीण घास से बनी पोशाकें और लकड़ी में मुखौटों को पहनकर भगवान विष्णु के 10 अवतारों की गाथा का भी बखान कर रहे हैं.

फागली उत्सव में क्षेत्र के विशेष देवताओं से (FAGLI FESTIVAL CELEBRATED IN BANJAR) जुड़े लोगों और कारकूनों बीठ मडियाहली पहन कर परंपरा निभाते हुए अश्लील जुमले सुनाते रहे. कई जगह मुखौटाधारियों हारियानों ने दहकते अंगारों पर कूदकर नृत्य किया गया. लेकिन दहकते अंगारों से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ और यह सब देख लोग दंग रह गए. फागली उत्सव के दौरान कई जगहों पर साठ मढ़ियाल्ले यानी मुखौटाधारियों ने देवता के समक्ष रामायण और महाभारत के युद्ध का वर्णन कर नृत्य किया.

बंजार में मनाया फागली उत्सव

देव परंपरा के अनुसार यह उत्सव देवताओं और राक्षसों के रामायण और महाभारत काल के युद्ध के स्वरूप को दोहराता है. खास कर समुद्र मंथन का जिक्र भी उत्सव में होता है. मान्यता है कि यहां के देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर होते हैं और क्षेत्रों में भूत-प्रेतों का वास रहता है. इन प्रेत आत्माओं व भूतों को भगाने के लिए फागली उत्सव मनाया जाता है. वहीं, बंजार के विधायक सुरेंद्र शौरी ने भी विभिन्न इलाकों में जाकर फागली उत्सव में भाग लिया. विधायक सुरेन्द्र शौरी ने कहा कि देव परंपरा पहाड़ी समाज में एक विशेष स्थान रखती है और फागली उत्सव के दौरान देवी देवता स्वर्ग प्रवास से लौटकर लोगों को सुख समृद्धि का भी आशीर्वाद देते हैं.

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