कुल्लू: हिमाचल प्रदेश बागवानी व किसानी वाला राज्य है. ऐसे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर किसानों व बागवानों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही बजट तैयार करें. प्रदेश के मुखिया जयराम ठाकुर 4 मार्च को अपने कार्यकाल का 5वां बजट पेश करने जा रहे हैं. ऐसे में बजट सत्र में किसानों व बागवानों को भी सरकार से राहत मिलने की उम्मीद जग गई है. ईटीवी भारत के साथ बजट को लेकर कुल्लू के किसानों ने अपने विचार रखे.
इस साल बजट के किसानों को उम्मीद- कुल्लू में किसानों व बागवानों ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि वे बजट (HIMACHAL BUDGET 2022) में खाद व बीज पर सब्सिडी जारी करने के लिए भी प्रावधान करें. साल 2021 के बजट में भी किसानों व बागवानों को सब्सिडी व खाद के दामों को कम करने के लिए बजट के प्रावधान की उम्मीद थी, लेकिन बीते साल किसानों व बागवानों की उम्मीद पूरी नहीं हो पाई. ऐसे में लगातार बढ़ रहे बीज व खाद के दामों से राहत पाने के लिए एक बार फिर से किसान बागवान सरकार से उम्मीदें लगाए बैठे हैं.
हिमाचल के किसानों से बजट से उम्मीद. दोगुना हो गया किसानों का खर्च-बागवानों का कहना है सरकार सब्सिडी देने की बात तो करती है, लेकिन सब्सिडी तब मिलती है जब वो बैंक से कर्ज लेकर उसका ब्याज भरते-भरते थक जाते हैं. कुल्लू घाटी के बागवानों का कहना है कि सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात करती है, लेकिन जिस हिसाब से खाद, दवाई और बीज महंगी हो रही है उससे तो किसानों का खर्च दोगुना हो गया है.
सब्सिडी के लिए करना पड़ता है सालों इंतजार-वहीं, किसानों व बागवानों का कहना है कि सरकार जालियों पर या अन्य उपकरणों पर जो सब्सिडी देती है, उसके लिए उन्हें 5 से 6 साल तक इंतजार करना पड़ता है. बागवानों की मानें तो सरकार को दवाइयों और खाद की जांच करनी चाहिए. कोई भी कंपनी बागवानों को कुछ भी बेच देती है और सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.
बढ़ाई जानी चाहिए कोल्ट स्टोर की संख्या- बागवानों का कहना है कि सेब के पौधों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी दो या तीन महीनों में जारी होनी चाहिए, जिससे उनकी आय में इजाफा हो सके. वहीं, बागवानों का कहना है कि सेब उत्पादन बहुल क्षेत्रों में कोल्ड स्टोर भी अधिक संख्या में स्थापित किए जाने चाहिए, क्योंकि सेब सीजन के समय उन्हें बाजार में फसल का उचित दाम नहीं मिल पाते हैं. ऐसे में भी अगर अपनी फसलों को कोल्ड स्टोर में सुरक्षित रखे तो बाद में उन्हें सेब के अच्छे दाम बाजार में मिल सकते हैं.
खाद के दामों में हुआ इजाफा-गौर रहे कि बीते साल खाद की 50 किलो बोरी की कीमत ₹1030 थी जो अब ₹1750 की हो गई है. इसके अलावा बीज के दामों में भी बीते साल की अपेक्षा 20 से 30 फीसदी की वृद्धि हुई है. इस तरह से बढ़ रहे बीज व खाद के दामों के चलते साल 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वायदा धरातल पर पूरा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है.
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