कुल्लू: निर्माणाधीन रोहतांग टनल होकर आम लोगों की आवाजाही को लेकर अभी संशय बना हुआ है. हालांकि, टनल प्रबंधन मरीजों के साथ आपात स्थिति में लोगों को टनल होकर आवाजाही में अपनी हामी भर चुका है.
रोहतांग दर्रा बंद होने के बाद आम जनता को टनल होकर जाने की सुविधा मिलेगी या नहीं इस पर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है. टनल के निर्माण में देरी से लागत तीन गुना बढ़ी गई है. रोहतांग टनल के मुख्य अभियंता दावा कर चुके हैं कि सितंबर 2020 तक रोहतांग टनल पूरी तरह बन कर तैयार होगी. इस बीच सर्दियों में रोहतांग टनल होकर आम लोगों को सप्ताह में एक बार आवाजाही की मंजूरी मिलने की अफवाहों से जनजातीय लोगों में भ्रम का माहौल है.
बताया जा रहा है कि रोहतांग टनल के भीतर इलेक्ट्रिफिकेशन का काम चल रहा है. सेरी नाला के हिस्से में बीआरओ ने सड़क को सुचारु कर दिया है. बता दें कि बड़े वाहनों के अलावा छोटे वाहन भी आसानी से टनल के आरपार हो सकते हैं. कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा सर्दियों में लोगों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए लगातार टनल प्रबंधन के संपर्क में हैं.
जानकारी के अनुसार आम लोगों की आवाजाही के प्रपोजल को रक्षा मंत्रालय ने खारिज कर दिया है. मरीजों को इसमें राहत देने की बात की गई है. सेरी नाला से पानी का रिसाव होने से टनल निर्माण में करीब चार साल की देरी हुई है, जिससे निर्माण लागत 1400 करोड़ से बढ़ कर करीब चार हजार करोड़ तक पहुंच गई है. हालांकि टनल का 90 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. रोहतांग टनल बन जाने से मनाली और केलांग के बीच करीब 45 किमी की दूरी कम होगी. साथ ही इससे लाहौल का संपर्क पूरी दुनिया से साल भर रहेगा.