कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के बॉर्डर जहां बीते दिनों प्रदेश सरकार के द्वारा खोल दिए गए हैं, वहीं अब सैलानियों का जमावड़ा भी पर्यटन स्थलों का रुख करने लगा है. सैलानियों के लिए हिमाचल के द्वार खोलने के बाद भी जिला कुल्लू में साहसिक पर्यटन कारोबार मंदा पड़ा हुआ है.
कुल्लू में साहसिक पर्यटन कारोबार में राफ्टिंग व पैराग्लाइडिंग जैसी गतिविधियां शामिल हैं. 15 सितंबर को प्रदेश सरकार के द्वारा इन गतिविधियों को शुरू करने का फरमान जारी कर दिया तो राफ्टिंग संचालकों के चेहरे खुशी से खिल उठे. आखिर लंबे समय के बाद उनका कारोबार शुरू होने से उन्हें आर्थिक मजबूती मिलेगी लेकिन कोरोना का डर अभी भी पर्यटकों के दिलों में बैठा हुआ है.
हालांकि अब जिला कुल्लू के पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की एंट्री होने लगी है लेकिन साहसिक गतिविधियों का कारोबार अभी भी ठंडा पड़ा हुआ है. राफ्ट संचालकों का मानना है कि शनिवार व रविवार को वीकेंड होने के चलते कुछ पर्यटक राफ्टिंग के लिए तो आ रहे हैं लेकिन अभी भी उनका कारोबार गति नहीं पकड़ पाया है.
राफ्टिंग एसोसिएशन के पूर्व प्रधान ठाकुर दास का कहना है कि लंबे समय के बाद उन्हें साहसिक गतिविधियों को संचालित करने के निर्देश मिले हैं और अब वह पर्यटकों के इंतजार में हैं. हालांकि इक्का-दुक्का पर्यटक राफ्टिंग का मजा ले रहे हैं लेकिन पूरी तरह से उनका कारोबार शुरू नहीं हो पाया है.
उनका कहना है कि कोरोना के कारण इस कारोबार से जुड़े हजारों युवा बेरोजगार रहे तब उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही पर्यटन कारोबार गति पकड़ेगा और एक बार फिर से ब्यास की धारा में पर्यटक राफ्टिंग का मजा ले सकेंगे. गौर रहे कि जिला कुल्लू में 5000 से अधिक युवा राफ्टिंग पैराग्लाइडिंग जैसी गतिविधियों से जुड़े हुए हैं और अब साहसिक पर्यटन खुलने की उम्मीद में उन्हें भी रोजगार की आस जगी हुई है.