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कुल्लू में 15 जुलाई से साहसिक गतिविधियों पर लगेगी रोक, ये है वजह - tourist city kullu ban on adventure activities

मैदानी इलाकों में पड़ रही तपती गर्मी से निजात पाने के लिए लोग हिमाचल की खूबसूरत वादियों का रुख कर रहे हैं. पर्यटन नगरी कुल्लू पहुंच रहे लोग साहसिक गतिविधियों का भी मजा ले रहे हैं. लेकिन बरसात का मौसम शुरू होते ही कुल्लू में 15 जुलाई से साहसिक गतिविधियों पर रोक लग जाएगी. प्रशासन ने बरसात के मौसम को देखते हुए यह निर्णय लिया है.

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Published : Jul 8, 2021, 2:27 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में सैलानियों की आवाजाही बढ़ती जा रही है. इससे पर्यटन कारोबार से जुड़े कारोबारियों में अपने व्यवसाय में मुनाफा कमाने की उम्मीद भी बढ़ गई है. साहसिक पर्यटन से जुड़े कारोबारी भी बहुत खुश हैं. हालांकि, 15 जुलाई से कुल्लू में साहसिक पर्यटन पर रोक लगने जा रही है, लेकिन जुलाई माह की शुरुआत से ही राफ्टिंग व पैराग्लाइडिंग के कारोबार में तेजी देखने को मिली है.

प्रदेश सरकार के द्वारा जारी निर्देश के अनुसार 15 जुलाई से लेकर 15 सितंबर तक प्रदेश में साहसिक पर्यटन पर रोक लगी रहेगी. प्रशासन के मुताबिक इन 2 माह में बरसात का मौसम अपने शबाब पर रहता है. ऐसे में जिला कुल्लू के नदी नालों में भी जलस्तर काफी ज्यादा रहता है. बरसात से किसी को नुकसान न हो इसके लिए साहसिक गतिविधियों पर रोक लगाई गई है.

वीडियो रिपोर्ट.

हालांकि, इस साल इस साल कोरोना संकट के चलते यह कारोबार काफी समय तक बंद रहा, लेकिन जुलाई माह में पर्यटकों की भीड़ बढ़ने के चलते जिला कुल्लू के ब्यास नदी के किनारे अब सैलानियों से चहक उठे हैं. रोजाना यहां सैकड़ों सैलानी ब्यास नदी के ठंडे पानी में रिवर राफ्टिंग का मजा ले रहे हैं. कुल्लू जिले में 5000 से अधिक युवा साहसिक पर्यटन गतिविधियों से जुड़े हुए हैं. पर्यटकों को आमद से इनके कारोबार में इजाफा देखा जा रहा है.

कुल्लू पहुंचे सैलानियों का कहना है कि निचले इलाकों में इन दिनों गर्मी का काफी प्रकोप है, लेकिन कुल्लू मनाली का तापमान काफी शांत है. ऐसे में ब्यास की ठंडी धारा में रिवर राफ्टिंग करने का अपना अलग ही मजा है. सैलानियों का कहना है कि कोरोना संकट के चलते वह भी अपने घरों में कैद हो गए थे, अब सरकार ने पर्यटकों को आने की अनुमति दी है. ऐसे में वे पहाड़ों के साथ-साथ साहसिक गतिविधियों का भी आनंद ले रहे हैं.

वहीं, जिला प्रशासन के द्वारा भी 15 जुलाई से 15 सितंबर तक साहसिक गतिविधियों को बंद करने के बारे में भी आदेश जारी कर दिए गए हैं. कुछ दिनों के बाद एक बार फिर से ब्यास नदी के किनारे सूने पड़ जाएंगे.

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