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कुल्लू में अष्टांग योग के माध्यम से कला सीखेंगे कलाकार, ये संस्था दे रही प्रशिक्षण

अष्टांग योग के माध्यम से जिला कुल्लू में रंग मंच कर्मियों को कला के गुर सिखाए जाएंगे. एक्टिव मोनाल कल्चर संस्था कुल्लू (Active Monal Culture Institute Kullu) के द्वारा अब नाट्य शास्त्र की विधाओं के तहत कलाकारों से यह योग करवाया जाएगा और अष्टांग योग के आठ सूत्र के माध्यम से कलाकारों को रंगमंच का प्रशिक्षण उपलब्ध करवाया जाएगा यह बात एक्टिव मोनाल कल्चर संस्था कुल्लू के अध्यक्ष केहर सिंह ने कही.

Active Monal Culture Institute Kullu
एक्टिव मोनाल कल्चर संस्था कुल्लू

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Published : Jan 31, 2022, 5:04 PM IST

कुल्लू:जिला कुल्लू में अब रंग मंच कर्मियों को अष्टांग योग के माध्यम से कला के गुर सिखाए जाएंगे. एक्टिव मोनाल कल्चर संस्था कुल्लू (Active Monal Culture Institute Kullu) के द्वारा अब नाट्य शास्त्र की विधाओं के तहत कलाकारों से यह योग करवाया जाएगा और अष्टांग योग के आठ सूत्र के माध्यम से कलाकारों को रंगमंच का प्रशिक्षण उपलब्ध करवाया जाएगा.

जिला कुल्लू में बीते कई सालों से रंग मंच के क्षेत्र में कार्यरत ऐक्टिव मोनाल कल्चर एसोसिएशन संस्था को बीते दिनों शिमला में भाषा एवं कला संस्कृति विभाग के द्वारा उत्कृष्ट स्वैच्छिक संस्था के पुरस्कार से भी नवाजा गया है. संस्था के अध्यक्ष केहर सिंह ने बताया कि नाट्य शास्त्र में भी अष्टांग योग का वर्णन किया गया है और 8 सूत्रों में नाटक की कई बारीकियों से भी अवगत करवाया गया (kullu Rang Manch workers) है. ऐसे में अब पहली बार महर्षि पतंजलि के द्वारा लिखित अष्टांग योग को रंगमंच के साथ जुड़ने जा रही है. ताकि अष्टांग योग के माध्यम से एक अच्छा कलाकार पैदा हो सकें और कला के क्षेत्र में अपनी सेवा दे सकें.

एक्टिव मोनाल कल्चर संस्था कुल्लू.

केहर सिंह का कहना है कि शिमला के गेयटी थिएटर में 29 जनवरी को अकादमी द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में शिक्षा, भाषा एवं संस्कृतिमंत्री गोविंद ठाकुर के हाथों प्रदान किया गया. संस्था के सभी कलाकार इस सम्मान प्राप्ति से उत्साहित हैं. केहर ने बताया कि संस्था रंगमंच में 23 सालों से काम कर रही है और संस्था से जुड़े कई कलाकार आज फिल्म व नाटक में भी अपनी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं.

संस्था के अध्यक्ष ने बताया कि साल 1998 में कुल्लू के कुछ शौकिया युवा रंग कर्मियों ने हिमाचल की लोक संस्कृति तथा लोकनाट्यों को समकालीन रंगमंच के साथ एक सूत्र में पिरोने और हिमाचल की रंग परम्पराओं और रंगशेलियों को वर्तमान संदर्भ में प्रस्तुत करने के साथ-साथ प्रदेश के उभरते कलाकारों को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से संस्था का गठन किया. आज संस्था द्वारा प्रदेश व देश के विभिन्न हिस्सों में नाटक की प्रस्तुति दी जाती है जिसे दर्शकों के द्वारा खूब सराहा जाता है.

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