कुल्लू: बेशक शिक्षा का अधिकार सभी को 14 वर्ष की आयु तक शिक्षा ग्रहण करने का हक देता है, लेकिन बेटियों की शिक्षा में घर की मजबूरियां कई बार बेड़ियां बन जाती हैं. जिला कुल्लू में भी ऐसी 19 बेटियां हैं, जिनके हाथों से किताब घर की मजबूरियों ने छीन ली.
पढ़ाई न कर पाने की वजह से अब ये बेटियां घर का कामकाज कर रही हैं. इन बेटियों में कुछ दिव्यांग भी शामिल हैं. जिला प्रशासन की ओर से करवाए गए सर्वे में जब यह खुलासा हुआ कि जिला कि 19 बेटियां किताबी ज्ञान से दूर हैं तो जिला प्रशासन भी सकते में आ गया.
सर्वे में यह बात सामने आई है की अकेले कुल्लू ब्लॉक में ही आठ-नौ बेटियां ऐसी हैं जो शिक्षा की लौ से दूर घर में चूल्हा जला रही हैं. इस मामले में हैरानी की बात तो यह है कि जब इन बेटियों ने स्कूल आना बंद किया तो संबंधित स्कूलों के शिक्षकों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया कि बेटियां क्यों स्कूल नहीं आ रही.
जब जिला प्रशासन की टीम ने सर्वे किया तो इन बेटियों के स्कूल न जाने की बात सामने आई. सर्वे में जब इसके पीछे के कारण जानने चाहे तो यह खुलासा हुआ कि कुछ ने बिना कारण स्कूल छोड़ दिया तो कुछ को घर वालों ने घर के कामकाज या छोटे भाई-बहनों को देखने के लिए रोक लिया.
जबकि तीन से चार बेटियां दिव्यांग बताई जा रही हैं, लेकिन सारे प्रावधान होने के बावजूद इन दिव्यांग बच्चियों को भी स्कूल तक ले जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं हो पाई. वहीं, कुछ लड़कियां स्कूल की दूरी अधिक होने के कारण स्कूल नहीं जा पा रही.