हमीरपुर:उर्मिल ठाकुर की भाजपा वापसी (BJP leader Urmil Thakur) से हमीरपुर में सियासी चर्चा शुरू हो गई है.साल 2003 के विधानसभा चुनावों में देवर नरेंद्र ठाकुर और भाभी उर्मिल ठाकुर की सियासी जंग का गवाह बनी हमीरपुर की जनता के लिए इस परिवार का दल बदलना कोई नया नहीं , लेकिन प्रदेश में भाजपा का दौर काफी हद तक बदल चुका है. वर्तमान में हमीरपुर सीट पर उर्मिल ठाकुर के देवर नरेंद्र ठाकुर भाजपा विधायक हैं.
सुजानपुर या हमीरपुर से होंगी प्रत्याशी ? :ऐसे में धूमल सरकार में 1998 में सीपीएस रही उर्मिल ठाकुर क्या सीएम जयराम ठाकुर के नेतृत्व में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में फिर भाजपा की प्रत्याशी होंगी? अगर उर्मिल ठाकुर प्रत्याशी होंगी तो सियासी रण का मैदान सुजानपुर होगा या फिर हमीरपुर? दोनों विधानसभा क्षेत्रों का जिक्र इसलिए जरूरी , क्योंकि उर्मिल दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ चुकी हैं.
8 साल बाद फिर भाजपा का दामन:2014 में सुजानपुर सीट पर हुए उपचुनाव में देवर नरेंद्र ठाकुर को भाजपा टिकट दिए जाने से नाराज उर्मिल ठाकुर ने कांग्रेस का दामन थामा था. 8 साल बाद अब भाजपा में वापसी की है. सुजानपुर सीट से टिकट न मिलने से नाराज उर्मिल ठाकुर किन शर्तों और उम्मीदों पर पर भाजपा में वापस लौटी हैं यह देखना भी रोचक होगा.
उर्मिल आठ साल बाद फिर भाजपा के साथ 2017 चुनावों में नहीं हुआ लाने का प्रयास:आगमी चुनावों में सीएम जयराम का नेतृत्व तय होने के बाद उर्मिल की वापसी के कई सियासी मायने होंगे. कुल मिलाकर हिमाचल में नेताओं की जोड़ तोड़ से सियासी पारा चढ़ गया है. बेशक उर्मिल ठाकुर कांग्रेस में शामिल हुई थी, लेकिन पिछले कई वर्षों से वह सक्रिय राजनीति में नजर नहीं आई. धूमल के नेतृत्व में लड़े गए 2017 के विधानसभा चुनावों में उर्मिल की घर वापसी के कोई प्रयास नहीं हुए.
कांग्रेस में नहीं रही सक्रिय: आगामी चुनावों में सीएम जयराम ठाकुर का नेतृत्व तय होने के बाद हुई इस सियासी हलचल ने कई चर्चाओं को जन्म जरूर दे दिया है. यह सवाल इसलिए अहम हो जाता है कि इससे पहले कांग्रेस में शामिल होने के बाद बावजूद उर्मिल ठाकुर सक्रिय राजनीति में नजर नहीं आ रही थी और उनकी भाजपा वापसी के लिए पूर्व में कोई प्रयास नहीं हुए.
1998 में धूमल सरकार में बनी थी सीपीएस:1993 में विधायक रहते जगदेव चंद के निधन के बाद भाजपा ने उपचुनाव में उनके बेटे नरेंद्र ठाकुर को टिकट दिया ,लेकिन वह कांग्रेस नेता अनिता वर्मा से चुनाव हार गए. 1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जगदेव चंद की बहू और वर्तमान विधायक नरेंद्र ठाकुर की भाभी उर्मिल ठाकुर को कांग्रेस की प्रत्याशी अनिता वर्मा के खिलाफ मैदान में उतारा. उर्मिल ठाकुर ने इस चुनाव में 4190 मतों से जीत हासिल की. वर्तमान में पूर्व मंत्री जगदेव चंद के पुत्र नरेंद्र ठाकुर यहां से भाजपा के टिकट पर विधायक हैं.
देवर -भाभी का चुनाव बना था चर्चा:पूर्व मंत्री जगदेव चंद के परिवार के दोनों सदस्य टिकट कटने पर पार्टी बदलने में देर नहीं लगाते. 2003 के चुनावों में भाजपा से बागी होकर विधायक नरेंद्र ठाकुर ने भाभी उर्मिल ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ा था. नरेंद्र ठाकुर 10290 मत हासिल करने के साथ ही तीसरे स्थान पर रहे थे. भाजपा और परिवार की इस लड़ाई में कांग्रेस फायदे में रही थी और अनिता वर्मा ने 6865 मतों से विजयी हुई थी.
2003 में चुनाव हारने के बाद कांग्रेस में शामिल :2003 में मित्रमंडल से चुनाव लड़ने वाले नरेंद्र ठाकुर हार मिलने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए और भाजपा प्रत्याशी अनुराक ठाकुर के खिलाफ 2008 में लोकसभा का चुनाव भी लड़ा. वह 2014 में सुजानपुर सीट पर उपचुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए और भाजपा टिकट पर यहां पर चुनाव जीता. उनके भाजपा में शामिल होने के चंद दिनों बाद ही उर्मिल ठाकुर ने कांग्रेस का दामन थामा लिया और अब वापसी की है.
भारी मतों से हारी थी आखिरी चुनाव:उर्मिल ठाकुर को साल 2007 में चुनावों में आखिर दफा जीत हासिल हुई थी. 2012 के चुनावों में सुजानपुर सीट पर उन्हें आजाद प्रत्याशी राजेंद्र राणा से हार का सामना करना पड़ा था. भाजपा इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रही थी. राणा ने 24674 मत हासिल किए थे और कांग्रेस प्रत्याशी अनिता वर्मा को कुल 10508 मत हासिल हुए थे. वहीं ,15821 के भारी मतातंर से हार का सामना करने वाली भाजपा प्रत्याशी उर्मिल ठाकुर को महज 8853 मत प्राप्त हुए थे.
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