हमीरपुर:हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में टिकट के चाहवानों का मेला वीरवार को विधानसभा क्षेत्र में आयोजित सुखविंद्र सिंह सुक्खू (sukhwinder singh sukhu) की स्वागत रैली में देखने को (Sukhu Hamirpur tour) मिला. इस मेले के बीच एक टिकार्थी ऐसा भी था जो सभा स्थल पर तो नहीं पहुंचा, लेकिन फिर भी अपना दावा मजबूत कर गया. बेशक हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा (Dr Pushpendra Verma) पहली बार सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस से टिकट का दावा जताते हुए दिखे, लेकिन वह सभा स्थल से दूर रहे. काफिले के बीच सार्वजनिक तौर पर डॉ. वर्मा पहली बार हिमाचल कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष एवं टिकट आवंटन समिति के सदस्य सुखविंदर सिंह सुक्खू का स्वागत करने सार्वजनिक तौर पर पहुंचे.
उखली में पुष्पेंद्र वर्मा ने सुक्खू का स्वागत किया. वहीं, उनके पिता पूर्व उद्योग मंत्री रणजीत वर्मा लंबे समय बाद किसी राजनीतिक मंच पर दिखे. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि बेटे के लिए पिता फिर मैदान में उतर आए है. सुक्खू के मंच पर पिता रणजीत वर्मा रहे. वहीं, सभा स्थल पर पुष्पेंद्र वर्मा के समर्थकों ने पोस्टर बैनर के जरिए शक्ति प्रदर्शन किया. जबकि पुष्पेंद्र वर्मा जनसभा में मौजूद नहीं रहे.
सुक्खू की तरह वीरभद्र से छत्तीस का आंकड़ा :रणजीत वर्मा भी सूबे के उद्योग मंत्री (Former Minister Ranjit Verma) रहे हैं. साल 1998 में हुए सियासी घटनाक्रम ने वीरभद्र सिंह के हाथ से सत्ता छिन गई थी. दरअसल पंडित सुखराम की हिविकां पार्टी ने उस चुनाव में 5 सीटें जीतने के बाद प्रेम कुमार धूमल को समर्थन दे दिया था. चुनाव से पहले रणजीत वर्मा कांग्रेस का हाथ छोड़ हिविंका में शामिल हो गए थे, हालांकि वो अपनी सीट नहीं जीत पाए लेकिन फिर कभी भी वो वीरभद्र सिंह के रहते कांग्रेस में वापिस नहीं आ पाए. इस बार फिर से वो सुक्खू के मंच पर नजर आए तो कयासों का बाजार तेज है. वो फिलहाल सक्रिय राजनीति में तो नहीं दिखे लेकिन अब बेटे पुष्पेंद्र वर्मा के लिए वह फिर सियासी मैदान में उतरे गए. सुक्खू का वीरभद्र सिंह के साथ रिश्ता भी किसी से छिपा नहीं हैं. इस तरह दोनों नेताओं का वीरभद्र सिंह से भले 36 का आंकड़ा रहा हो लेकिन चुनावों से पहले सुक्खू और रणजीत वर्मा परिवार की जुगलबंदी हमीरपुर के सियासी समीकरण को दिलचस्प बना रही है.
मंच से सुक्खू कर गए तारीफ :दरअसल डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा पेशे से सरकारी डॉक्टर है. वह सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पिछले कई वर्षों से विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय भी हैं. लेकिन सरकारी नौकरी के चलते वह राजनीतिक कार्यक्रमों से दूरी ही बनाए रखते हैं. सरकारी नौकरी की वजह से सुक्खू के काफिले में वह स्वागत करने के लिए तो चले गए लेकिन इसके बाद जनसभा से दूरी बना ली. बेशक वह जनसभा में नहीं पहुंचे, लेकिन मंच से सुक्खू कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पुष्पेंद्र और एडवोकेट रोहित शर्मा को बधाई दे गए.