हमीरपुर:बिना घी और तेल के बनी मिठाइयां हमीरपुर जिला में लोगों की पहली पसंद बनी हुई है. हिमाचल ही नहीं बल्कि अब दिल्ली-नोएडा से भी बिना तेल घी से बनी इन मिठाइयों के लिए ऑर्डर आ रहे हैं. बजट के साथ ही सेहत के लिहाज से भी यह मिठाईयां फेस्टिव सीजन में खूब डिमांड में है.
हमीरपुर जिले में महिला स्वयं सहायता समूह इन मिठाइयों को तैयार करने में जुटे हैं. राधे कृष्णा स्वयं सहायता समूह नादौन और पंचायत भरमोटी खुर्द के न्यू अजिविका स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई मिठाइयां स्वास्थ्य के लिहाज से भी सही है. साल भर में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मिठाई बनाकर लाखों रूपये का कारोबार कर रहीं हैं. आंवला की बर्फी, पपीते के पेड़े, लौकी, कैंडी, कददू की बर्फी के अलावा तरह-तरह के आचार भी बनाए जा रहे हैं. जिन्हें लोगों द्वारा बेहद पसंद किया जा रहा है.
अलग तरह की मिठाइयां तैयार करने में जुटी हुई इन महिलाओं के द्वारा बनाई गई मिठाइयों की मिठास हमीरपुर तक ही सीमित नहीं है बल्कि मिठाई की डिमांड हिमाचल के बाहर, पंजाब, दिल्ली, सूरजकुंड उतराखंड में भी है. दोनों स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा छोटी सी जगह पर मिठाइयां बनाने का काम किया जाता है और दिन-रात एक करके स्वादिष्ट और पौष्टिक मिठाईयां तैयार की जा रही हैं. इस तरह की मिठाइयां सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक है क्योंकि ज्यादातर मिठाइयां फलों से तैयार की जाती हैं.
राधे कृष्णा स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष अनीता ठाकुर का कहना है कि बिना तेल और बिना घी के बनी इन मिठाइयों को मरीज भी खा सकते हैं. उन्होंने कहा कि इन मिठाइयों को बनाने के लिए पानी तक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. उन्होंने लोगों से इन मिठाइयों को अधिक से अधिक खरीदने की अपील की है. न्यू आजिविका स्वंय सहायता समूह की अध्यक्ष नंदिनी ठाकुर ने बताया कि दिल्ली-नोएडा और कई अन्य राज्यों से भी उन्हें आर्डर मिल रहे हैं.
उन्होंने बताया कि सरकारी क्षेत्र से भी आर्डर आ रहे हैं. नंदिनी ठाकुर ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र में प्रशिक्षण लेने के बाद फलों से मिठाइयों के अलावा अचार चटनी बनाने के बारे में बताया गया था और इसके बाद लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए प्रोडेकट बनाने तैयार किए हैं. उन्होंने बताया कि बिना घी और तेल के मिठाइयों को तैयार किया जाता है जिन्हें लोग भी बेहद पंसद करते हैं.
वहीं, स्वयं सहायता समूह की सदस्य सपना कुमारी ने बताया कि वह अपने घर का काम निपटाने के बाद मिठाइयां बनाती हैं और आत्मनिर्भर बनकर आजिविका कमा रही है. जिससे उनका घर का गुजारा अच्छे से चल रहा है. उन्होंने बताया कि घर में कमाने वाला कोई नहीं है लेकिन स्वयं सहायता समूह के माध्यम से वह आत्मनिर्भर बनी हैं. उन्होंने बताया कि महीने का वह 8 से 10 हजार कमा लेती है.
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