हमीरपुर:भारत मां की सेवा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले हिमाचल के सैकड़ों वीर सपूत हैं, लेकिन उनकी शहादत के वक्त परिवारों को दी जाने वाली अनुदान राशि बेहद कम (Martyrs grant amount is less in Himachal) है. पंजाब को वेतन मान और अन्य शासकीय वित्तीय कार्यों के लिए अनुसरण करने वाले हिमाचल में यह राशि पांच गुना कम है. हिमाचल में सैनिकों की शहादत पर परिवारों को दी जाने वाली अनुदान राशि 20 लाख है, जबकि पंजाब में एक करोड़ है. ऐसा नहीं है कि हिमाचल में विभाग स्तर पर इसे बढ़ाने के प्रयास नहीं किए गए.
इस अनुदान राशि को बढ़ाने के लिए सरकार को सैनिक कल्याण विभाग निदेशालय हमीरपुर (Sainik Welfare Department Hamirpur) की तरफ से एक नहीं बल्कि कई दफा प्रपोजल भेजे जा चुके हैं. वर्तमान निदेशक के कार्यालय में ही एक वर्ष की अवधि में दो बार यह प्रपोजल सरकार को भेजे जा चुके हैं. सैनिकों और उनके परिवारों से जुड़ा यह मसला कागजों में ही अटक गया है. देवभूमि के साथ-साथ हिमाचल वीरभूमि के नाम से भी जाना जाती है. हिमाचल के वीर सपूतों ने मां भारती की रक्षा में सैकड़ों शहादतें दी हैं.
इतने लाख दी जाती है अनुदान राशि:आजादी से लेकर अब तक युद्ध और युद्ध जैसे हालातों में सैकड़ों सैनिक शहीद हुए हैं. वर्तमान में प्रदेश सरकार की तरफ से युद्ध और युद्ध जैसे हालातों में शहीद होने पर 20 लाख और बीमारी और अन्य कारणों से मौत होने पर पांच लाख की अनुदान राशि परिवारों को प्रदान की जाती है. छोटे पहाड़ी राज्य में शौर्य की परंपरा निरंतर मजबूत होती चली आ रही है. हिमाचल के सैकड़ों जवान देश की सरहदों की रक्षा करते हुए शहीद हुए हैं.
हिमाचली वीर के सीने पर सजे इतने मेडल: हिमाचल के सैन्य अफसरों व जांबाजों ने युद्ध के मैदान और अन्य बहादुरी की कहानियों को साकार रूप देते हुए 1160 से अधिक शौर्य सम्मान हासिल किए हैं. इनमें भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान के तौर पर 4 परमवीर चक्र, दो अशोक चक्र. दस महावीर चक्र, 18 कीर्ति चक्र, 51 वीर चक्र, 89 शौर्य चक्र व 985 अन्य सेना मेडल शामिल हैं. आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारतीय सेना को मिले शौर्य सम्मानों में से हर दसवां मेडल हिमाचल के वीर के सीने पर सजा है.