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हमीरपुर: ग्राम पंचायत दैण के 2 गांव पक्की सड़क सुविधा से वंचित, बरसात के मौसम में होती है भारी परेशानी

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Published : Feb 14, 2022, 3:30 PM IST

जिला मुख्यालय हमीरपुर से महज 15 किलोमीटर और नेशनल हाईवे से महज 2 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत दैण के कुछ गांव अभी तक पक्की सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए (Dain Panchayat villagers met DC Hamirpur) हैं. ऐसे में सोमवार को पंचायत का एक प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त हमीरपुर से मिला और सड़क को पक्की करने गुहार लगाई, ताकि गांव की सड़क को पक्का करके एंबुलेंस योग्य बनाया जा सके.

Dain Panchayat villagers met DC Hamirpur
हमीरपुर की ग्राम पंचायत दैण

हमीरपुर:जिला मुख्यालय हमीरपुर से महज 15 किलोमीटर और नेशनल हाईवे से महज 2 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत दैण के कुछ गांव अभी तक पक्की सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं. इस सिलसिले में इस पंचायत का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को उपायुक्त हमीरपुर से गांव की कच्ची सड़कों को पक्का करने के लिए मिला, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी एंबुलेंस की सुविधा मिल सके.

ग्रामीणों का कहना है कि गांव बल्ह मसंदा और ठठियार के लोगों को पक्की सड़क की सुविधा नहीं मिल पाई है, जिस वजह से गांव के लोगों को दिक्कतें पेश आ (Dain Panchayat villagers met DC Hamirpur) रही हैं. ग्रामीणों का दावा है कि इस गांव के लिए वर्ष 1936 में कच्ची सड़क बनाई गई है, लेकिन फोरेस्ट एरिया होने के चलते एनओसी ना मिलने से आज तक पक्की नहीं निकल पाई है.

इसी तरह बल्ह ढटवालियां व कठियार गांव में भी सड़कें तो हैं, लेकिन वाहन योग्य नहीं (Dain Panchayat of Hamirpur) है. ऐसे में बल्ह मसंदा के साथ दूसरे गांव के लोग भी नरकीय जीवन जीने को मजूबर हैं, क्योंकि बरसात के मौसम में ग्रामीणों को खासा परेशान होना पड़ता है.

पंचायत के उप प्रधान संजीव कुमार ने कहा कि आजादी के 75 वर्षों के बाद भी ग्रामीणों को पक्की सड़क की सुविधा नहीं मिल पाई हैं. ग्रामीणों ने उपायुक्त हमीरपुर से गुहार लगाई है कि उनके गांव की कच्ची सड़क को फोरेस्ट की एनओसी दिलाई जाए, ताकि गांव की सड़क को पक्का करके एंबुलेंस योग्य बनाया जा सके.

वहीं, पंचायत प्रधान सुशीला चंबयाल का कहना है कि अगर गांव का कोई बुजुर्ग व महिला बीमार हो जाए, तो ग्रामीणों को उन्हें कंधे पर या फिर चारपाई में बिठाकर एनएच 103 शिमला-धर्मशाला मेन सड़क मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है, जोकि अढ़ाई से तीन किलोमीटर दूर है. यह गांव जिले के दूरदराज के संदर्भ में नहीं बल्कि मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर है ऐसे में पक्की सड़क की सुविधा न होना ग्रामीणों के लिए बहुत बड़ी परेशानी है.

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