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जयराम सरकार में धूमल के जिले में सरकारी तंत्र रामभरोसे! जनमंच में मिला अव्यवस्था का प्रमाण

नगर पंचायत नादौन के वार्ड नंबर दो पुराना बस स्टैंड के समीप एक बर्फ बनाने का (ice making factory in Nadaun of Hamirpur) कारखाना दो दशक से चल रहा है. इस कारखाने की वजह से साथ लगते घर में दरारें आने की शिकायत लेकर महिला, जलाड़ी में आयोजित जनमंच में पहुंची. यहां पर पर महिला ने अपना दुखड़ा सुनाया और शिकायत सुनाते रोना भी शुरू कर दिया. पढे़ं पूरा मामला...

ice making factory in Nadaun
नादौन में बर्फ के कारखाने पर उठे सवाल

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Published : May 1, 2022, 9:12 PM IST

हमीरपुर:हमीरपुर में कानून व्यवस्था और सरकारी तंत्र रामभरोसे चल रहा है. नादौन के जलाड़ी में जनमंच में इसका प्रमाण एक बार फिर देखने को मिला. शराब कांड को लेकर प्रदेशभर में जिल्लत झेल चुके जिला हमीरपुर में सरकारी तंत्र पर सवाल लगातार उठ रहे हैं. नादौन नगर पंचायत के एरिया में बर्फ का कारखाना चल रहा है और संबंधित विभागों को इसकी खबर तो है लेकिन अधिकारी इस बात से बेखबर हैं कि कारखाना वैध है या फिर अवैध? ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर जिले में चल रहे जंगलराज के लिए कौन जिम्मेदार है. क्या जयराम सरकार भाजपा के गढ़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के गृह जिला हमीरपुर को लेकर संजीदा नहीं है? गौरतलब है कि हिमाचल कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पिछले दिन पहले जयराम सरकार पर हमीरपुर जिले से भेदभाव करने के आरोप लगाए हैं.


ये है पूरा मामला-नगर पंचायत नादौन के वार्ड नंबर दो पुराना बस स्टैंड के समीप एक बर्फ बनाने का कारखाना दो दशक से चल रहा है. इस कारखाने की वजह से साथ लगते घर में दरारें आने की शिकायत लेकर महिला, जलाड़ी में आयोजित जनमंच (Jan Manch in Nadaun Jaladi) में पहुंची. यहां पर पर महिला ने अपना दुखड़ा सुनाया और शिकायत सुनाते रोना भी शुरू कर दिया. इस पर जनमंच की अध्यक्षता कर रहे खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग ने मौजूद अधिकारियों से जवाब मांगा. नगर पंचायत के अधिकारी बोले कि यह मामला आज ही उनके ध्यान में आया है, जबकि शिकायतकर्ता का कहना है कि कई सालों से चल रही है.

नादौन के जलाड़ी में जनमंच

अधिकारी बोले कारखाना तो लगा है यह मालूम नहीं वैध है अवैध, मंत्री ने हड़काया-शिकायत सामने आने पर (ice making factory in Nadaun of Hamirpur) स्वास्थ्य विभाग से मंत्री ने जवाब मांगा तो स्थानीय बीएमओ जवाब देने के लिए उठे. मंत्री को जवाब देते हुए बीएमओ बोले कारखाना लगा है इसकी जानकारी है लेकिन यह विभाग से पंजीकृत है इस बारे में उन्हें मालूम नहीं हैं. इस पर मंत्री गर्ग ने अधिकारी को कहा आपको पता है, फिर आप क्या कर रहे हैं. क्या आपका कोई दायित्व नहीं है. मंत्री बोले यदि कारखाना अवैध है तो तुरंत कार्रवाई करें.

पुलिस पर दुर्व्यवहार करने के आरोप, थाने से महज तीन किलोमीटर है कारखाना-शिकायतकर्ता महिला ने कहा कि पुलिस में शिकायत की है लेकिन पुलिस कर्मचारी आते नहीं है. फोन पर एसएचओ भी बतमीजी से बात करते हैं. महिला की शिकायत के बाद मंत्री ने एसएचओ से जवाब मांगा. मामले में बाद में एसएचओ और एसडीएम नादौन को जल्द कार्रवाई करने के आदेश मंत्री ने दिए. मंत्री ने 15 दिन के भीतर मामले की जांच करने के आदेश जारी किए.

महाप्रबंधक बोले ऐसा लगता है यह कारखाना पंजीकृत नहीं-असमंजस में उलझे संबंधित विभागों के अधिकारी उचित जवाब नहीं दे पाए. चर्चा के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पल्ला झाड़ कर इसे उद्योग विभाग का मसला बताया. बाद में (ice making factory in Nadaun of Hamirpur) जब उद्योग विभाग हमीरपुर के महाप्रबंधक जवाब देने के लिए उठे तो उन्होंने भी जवाब देने की बजाए कयास ही लगाए. महाप्रबंधक ने जनमंच की अध्यक्षता कर रहे मंत्री को जवाब देते हुए कि ऐसा लग रहा है कारखाना उद्योग विभाग हमीरपुर में पंजीकृत नहीं है. तमाम तर्क देने के बाद सात दिन में भीतर 1 सप्ताह में जांच पूरी करने का दावा किया.

धूमिल हो रही जिले की छवि, जांच तक सिमटे आदेश-हालात ऐसे हैं कि जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमटर की दूरी पर अवैध शराब कारखाना चल रहा था. इसका खुलासा तब हुआ जब शराब कांड मामले में सात लोगों की मौत हुई. अब नादौन में चल (ice making factory in Nadaun of Hamirpur) रहे बर्फ कारखाने का मसला जनमंच तक पहुंच गया, लेकिन पुलिस, प्रशासन, संबधित विभागों के अधिकारी नींद में थे. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जांच और खुलासे के लिए लोगों की मौत या बवाल जरूरी है.

जिले में शराब कारखाने के भंडाफोड़ के बाद प्रदेशभर में हमीरपुर की किरकिरी हुई थी. नादौन में एसएचओ पर रिश्वत लेने और विजीलेंस की टीम पर गाड़ी चढ़ाने के आरोप लगे थे. सुजानपुर में खनन पर रातों-रात पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की थी. लेकिन जांच कहां तक पहुंची है यह भी रहस्य ही बना हुआ है. इन सभी मामलों से जिले की कानून व्यवस्था पर सवाल उठना भी लाजमी है. यह अव्यवस्था जिला हमीरपुर की शिक्षित जिले होने की छवि को लगातार धूमिल कर रही है. ऐसे में क्या जांच के आदेशों तक ही मामले सिमटे रहेंगे या फिर धरातल पर सरकारी तंत्र संजीदा होगा, यह अपने आप में बड़ा सवाल है.

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