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MLA राजेंद्र राणा ने मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा की मांग

विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि कोविड-19 अस्पतालों में इलाज कर रहे मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए पुख्ता इन्तजाम किए जाने चाहिए. उन्होंने फीडबैक मिली है कि कोविड-19 अस्पतालों में प्रभावित मरीजों को उपचार दे रहे स्टाफ के पास उचित सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं हैं.

mla rajendra rana on corona virus
mla rajendra rana on corona virus

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Published : Apr 14, 2020, 12:16 AM IST

सुजानपुरः जिला हमीरपुर के विधानसभा क्षेत्र सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कोरोना वायरस के साथ लड़ाई के लिए पहली पंक्ति में खड़े डाक्टरों और मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ के लिए सुरक्षा की मांग की है.

विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि कोविड-19 अस्पतालों में इलाज कर रहे मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए पुख्ता इन्तजाम किए जाने चाहिए. उन्हें फीडबैक दी गई है कि टांडा, आईजीएमसी शिमला, मंडी और अब हमीरपुर में कोविड-19 से प्रभावित मरीजों को उपचार दे रहे स्टाफ के पास उचित सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं हैं.

राजेंद्र राणा ने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि भोटा कोवि़ड-19 सेंटर में हमीरपुर मेडिकल कॉलेज से जिन 15 लोगों का स्टाफ उपचार के लिए भेजा गया है, उनके पास दो दिन पहले बुनियादी सुरक्षा सुविधाएं मौजूद नहीं थीं, जो कि एक तरह से मेडिकल स्टाफ की जान जोखिम में डालना का काम है.

विधायक राजेंद्र ने सरकार से आग्रह किया है कि पैरा मेडिकल स्टाफ जो कि कोविड-19 सेंटरों में डयूटी कर रहे डाक्टरों के साथ तैनात हैं. उनके हाई रिस्क को देखते हुए सरकार उन्हें तुरंत 50 लाख के इंश्योरेंस दायरे में लाए ताकि हाई रिस्क के चलते इनके परिजनों में सामाजिक सुरक्षा की भावना बनी रहे.

प्रदेश सरकार कोविड-19 के इलाज में लगे हुए आउटसोर्स कर्मचारियों व मेडिकल स्टाफ के वेतन को हरियाणा की तर्ज पर दोगुना करने का प्रयास करें. उन्होंने कहा कि आउटसोर्स स्टाफ जोकि मेडिकल स्टाफ के रीड की हड्डी है. इस वक्त इलाज की सारी जिम्मेदारी इसी आउटसोर्स स्टाफ पर टीकी हैं.

ऐसे में इनकी सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना सरकार का पहला फर्ज बनता है. उन्होंने कहा कि अगर संभव हो सके तो चंडीगढ़ प्रशासन की तर्ज पर डोर स्टेप पर हर आदमी की जांच की जाए. ऐसी स्थिति में प्रदेश को पूरी तरह से महफूज रखने में सहायता मिलेगी.

विधायक राजेंद्र राणा ने क्वारंटाइन की अव्यवस्था को लेकर भी चिंता व्यक्त की है कि ऊना, स्वारघाट जैसे राज्य की सीमाओं पर जो लोग एहतियाती तौर पर क्वारंटाइन किए गए है, उन्हें 14 दिन बाद भी कुछ स्पष्ट नहीं किया जा रहा है. जिस कारण से इन क्वारंटाइन कैंपों व उनके परिजनों दोनों तरफ ही चिंताजनक माहौल बना हुआ है.

उन्होंने कहा कि प्रशासन यह न भूले कि क्वारंटाइन में रह रहे लोग सरकार के फैसले का सम्मान व सहयोग कर रहे हैं. इसलिए इनकी भावनाओं का सम्मान किया जाना जरुरी है.

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