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शहीद दीप चंद के परिवार को सड़क बनाने का 'लॉलीपॉप' देकर मुकरी सरकार, अभी तक नहीं बना मार्ग

हमीरपुर के उपमंडल बड़सर की ग्राम पंचायत भैल में शहीद दीप चंद राणा के गांव बरोटी की सड़क को पक्का करने की घोषणा हवा-हवाई साबित हो रही है, क्योंकि आज तक सरकार ने उस गांव को ना तो सड़क सुविधा मुहैया कराई गई और ना ही वहां की सड़क को पक्का करवाया. ऐसे में ग्रामीण और परिजन अपनी समस्या लेकर मंगलवार को डीसी से मिले.

Martyr Deep Chand Rana family met DC in hamirpur
डीसी हरिकेश मीणा से मिलते शहीद दीप चंद के परिजन

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Published : Jan 21, 2020, 5:36 PM IST

हमीरपुर: उपमंडल बड़सर के तहत आने वाली ग्राम पंचायत भैल में शहीद दीप चंद राणा के गांव बोरटी को सड़क सुविधा से जोड़ने की घोषणा होने के बावजूद भी शहीद के गांव की सड़क पक्की न होने के कारण उनके परिजन व अन्य ग्रामीण अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं. ऐसे में मंगलवार को शहीद के परिजन और ग्रामीणों ने डीसी हरिकेश मीणा के माध्यम से सरकार को ज्ञापन सौंपा है.

बता दें कि शहीद दीप चंद राणा के गांव की सड़क पक्की न होने की वजह से ग्रामीणों को पांच किलोमीटर पैदल चलकर बस पकड़नी पड़ती है, क्योंकि मार्ग की खस्ता हालत के चलते टैक्सी चालक और एंबुलेंस चालक यहां आने से कतराते हैं. ऐसे में शहीद के परिवार को बेहतर सुविधाएं तो दूर, बल्कि मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं.

शहीद दीप चंद राणा के परिजन और ग्रामीण

साल 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ करगिल युद्ध में बरोटी के वीर सैनिक दीप चंद राणा वीरगति को प्राप्त हुए थे. उस समय की तत्कालीन सरकार द्वारा शहीद के घर को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए सड़क निर्माण की घोषणा की गई और सड़क का नाम शहीद दीप चंद राणा रखने की बात कही गई थी, लेकिन आज तक वहां सड़क नहीं बनी.

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शहीद दीपचंद के चचेरे भाई संदीप राणा ने बताया कि अगर सरकार ने सड़क को जल्द ही पक्का नहीं किया तो वो आगामी पंचायती चुनाव का बहिष्कार करेंगे. साथ ही कहा कि इस संबंध में वो जल्द ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिलेंगे.
संदीप राणा ने बताया कि बरोटी गांव के अलावा अन्य 13 गांवों के लोग सड़क समस्या से परेशान हैं और आज भी मरीजों को चारपाई व कुर्सियों पर उठाकर मुख्य सड़क तक पहुंचाना पड़ता है.

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को सड़क पक्की ही नहीं करनी थी, तो शहीद के नाम घोषणा का लॉलीपॉप क्यों दिया. उन्होंने कहा कि आज 21 साल बाद भी शहीद के परिजन अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं.

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