हमीरपुर: कोरोना वायरस हर वर्ग के लिए मुसीबतें लेकर आया है. हर छोटे से बड़ा उद्यमी लॉकडाउन और कोरोना संकट के भंवर में फंस गया है. अब हालात ऐसे हो गए हैं कि जो कारोबार रोजी-रोटी का जरिया थे अब वह इनके गले की फांस बनते जा रहे हैं. कोरोना संकटकाल में लॉन्ड्री व्यवसाय से जुड़े लोगों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं.
इस वर्ग ने लॉकडाउन में तो परेशानियों का सामना किया है, लेकिन अब अनलॉक के बाद भी समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही. लॉकडाउन के बाद जहां कुछ व्यवसाय सूचारू रूप से चल रहे हैं. वहीं, लॉन्ड्री व्यवसाय अभी तक भी कोरोना के कारण प्रभावित है.
दरअसल, लॉन्ड्री व्यवसाय का ज्यादातर काम शादी समारोह के दौरान होता है, लेकिन कोरोना के कारण शादी समारोह नहीं हो रहे हैं जिससे इससे जुड़े लोगों का नुकसान हो रहा है. इसके साथ ही लॉन्ड्री व्यवसाय से जुड़े लोगों का काम स्कूल और कॉलेज के हॉस्टल से मिलता है, लेकिन स्कूल और कॉलेज बंद होने से यह लोग अभी भी कोरोना का दंश झेल रहे हैं.
लॉन्ड्री का काम करने वालों का कहना है कि दुकानें तो खोल दी हैं पर काम नहीं मिल रहा. हमीरपुर शहर में ही कुछ लोग धोबी-ड्राई क्लीनिंग का काम करते हैं तो कुछ लोग कपड़ों पर प्रैस करते हैं. लॉन्ड्री की एक बड़ी वर्कशॉप भी हमीरपुर में है जिसमें 5 से 6 जिलों को लॉन्ड्री की सुविधा मिलती है. यहां पर बड़े स्तर का काम किया जाता है जिसमें हॉस्टल, अस्पताल इत्यादि के बड़े ऑर्डर लिए जाते थे.
कोरोना काल में शैक्षणिक संस्थान बंद हुए और इस वर्कशॉप का काम भी. इस वर्कशॉप को चलाने वाले होशियारपुर के रहने वाले हैं. मार्च महीने में लॉकडाउन लगने से पहले ही यह लोग अपने घर वापिस लौट गए. इस वर्कशॉप में 6-7 लोग काम करते हैं. हमीरपुर के ही एक निजी कॉलेज ने अपने कैंपस में इन लोगों को निशुल्क काम करने के लिए जगह दी हुई है.
वहीं, अगर छोटे स्तर पर प्रेस इत्यादि या ड्राई क्लीन का काम करने वाले लोगों की बात की जाए तो उनकी दुकानें तो हर रोज खुली रहती हैं, लेकिन लोग यहां नहीं आ रहे.
नए ग्राहक आना तो दूर जो ग्राहक ऑर्डर देकर गए थे वह भी वापस आने से गुरेज ही कर रहे हैं. इससे प्रेस वालों को नुकसान हो रहा है. इन लोगों को अपने पुराने काम के लिए पैसे भी नहीं मिल रहे.