हमीरपुर: उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बाबा बालक नाथ मंदिर दयोटसिद्ध में बाबा बालक के गुरु दत्तात्रेय का मंदिर भी धौलागिरी की पहाड़ी पर स्थित है. यहां पर सदियों पहले गुरु दत्तात्रेय की चरण पादुका स्थापित की गई थी. चैत्र मास मेले के दौरान बाबा बालक नाथ की पवित्र गुफा में दर्शन करने के साथ ही श्रद्धालु उनके गुरु दत्तात्रेय के मंदिर में शीश नवाने पहुंचते हैं.
गुरु दत्तात्रेय और बाबा बालक नाथ के गुरु-चेले के रिश्ते की निष्ठा की कहानियां प्रचलित है. बताते हैं कि जब बाबा बालक नाथ शाहतलाई से धौलागिरी पर्वत के लिए मोर पर उड़े तो इस बारे में बाबा गोरखनाथ को जानकारी मिली.
किंवदंतियों के अनुसार जब बाबा गोरखनाथ को बाबा बालक नाथ के चमत्कारों के बारे में पता चला तो वह उनके परीक्षा लेने के लिए और उन्हें अपना चेला बनाने के लिए दयोटसिद्ध पहुंच गए. इसके बाद बाबा गोरखनाथ और बाबा बालक नाथ में हुए संवाद की कहानी बेहद रोचक बताई जाती है. कहा जाता है कि बाबा बालक नाथ ने बाबा गोरखनाथ का अभिमान तोड़ दिया था.
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में पुजारी विजय शर्मा ने गुरु दत्तात्रेय और बाबा बालक नाथ के गुरु-शिष्य के रिश्ते के बारे में बताते हुए कहा कि जब शाहतलाई से बाबा बालक नाथ ने मोर पर धौलागिरी पर्वत के लिए उड़ान भरी तो क्षेत्र में उनके चमत्कार की चर्चा होने लगी. इसके बारे में जब बाबा गोरखनाथ को पता चला तो वह बाबा बालक नाथ की परीक्षा लेने और उन्हें अपना शिष्य बनाने के लिए ज़िद की. पहले तो बाबा गोरखनाथ ने अपने चेलों को बाबा बालक नाथ को अपने पास लाने के लिए भेजा. लेकिन बाद में बाबा बालक नाथ के न आने पर बाबा गोरखनाथ खुद ही उनके पास पहुंच गए.