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Himachal Seat Scan: 1982 से BJP का गढ़ रहा है हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र, इस बार जनता किसका देगी साथ, जानिए चुनावी समीकरण

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 सीट स्कैन में आज हम हमीरपुर विधानसभा सीट (Hamirpur Assembly Seat ground report) की बात करेंगे. वैसे तो हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ रहा है, लेकिन इस साल चुनाव की दृष्टि से हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है. तो आइये जानते हैं क्या है यहां की जनता का मूड ?

Hamirpur Assembly Seat ground report
हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र की चुनावी जंग

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Published : Jul 24, 2022, 3:38 PM IST

Updated : Jul 25, 2022, 12:11 PM IST

हमीरपुर: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) का रण अब धीरे-धीरे चरम पर पहुंचने लगा है. हालांकि विधानसभा चुनाव में अभी कुछ महीने शेष हैं, लेकिन प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता जनता के बीच पहुंचने लगे हैं. ऐसे में यह जानना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है कि आखिर सूबे के किस विधानसभा क्षेत्र में जनता को क्या-क्या परेशानी पेश आ रही है. क्षेत्र में अब तक क्या विकास हुए हैं और लोग अपने वर्तमान विधायक से संतुष्ट हैं या नहीं. विधानसभा चुनाव से पहले ETV भारत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के सूरत-ए-हाल से रू-ब-रू कराने जा रहा है. ऐसे में आज हम बात करने जा रहे हैं हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र की...

रोचक है हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र की चुनावी जंग: कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में ये 38वीं विधानसभा सीट है. हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास बेहद की रोचक रहा है. जीत और हार के साथ ही भौगोलिक परिस्थितियां में बदलाव और विधानसभा डिलिमिटेशन के कारण क्षेत्रों के गठजोड़ भी चर्चा में रहे हैं. साल 1982 से इस सीट पर भाजपा का अधिक दबदबा देखने को मिला है. पिछले 9 विधानसभा चुनावों में से भाजपा ने आठ और कांग्रेस ने एक दफा जीत हासिल की है. भाजपा के दिग्गज नेता रहे पूर्व मंत्री स्वर्गीय जगदेव चंद इस विधानसभा क्षेत्र से 1982 से लेकर 1993 तक चार दफा लगातार भाजपा के टिकट पर विधायक रहे. जगदेव चंद 1977 में वह जनता पार्टी के विधायक भी रहे हैं.

हमीरपुर विधानसभा सीट की ग्राउंड रिपोर्ट.

हमीरपुर विधानसभा सीट पर महिला नेत्रियों का भी दबदबा: 1993 में विधायक रहते जगदेव चंद के निधन के बाद भाजपा ने उपचुनाव में उनके बेटे नरेंद्र ठाकुर को टिकट दिया, लेकिन वह कांग्रेस की नेत्री अनिता वर्मा से चुनाव हार गए. 1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जगदेव चंद की बहू और वर्तमान विधायक नरेंद्र ठाकुर की भाभी उर्मिल ठाकुर को कांग्रेस की प्रत्याशी अनिता वर्मा के खिलाफ मैदान में उतारा. उर्मिल ने इस चुनाव में 4190 मतों से जीत हासिल की.

सरकार रिपीट नहीं करवा पाए थे धूमल: हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल (Former Chief Minister Prem Kumar Dhumal) ने साल 2012 में यहां से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की. धूमल सरकार तो रिपीट नहीं करवा पाए, लेकिन इस सीट से वह नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे. इस विधानसभा क्षेत्र में महिला नेत्रियों का भी दबदबा बराबर देखने को मिला है. कांग्रेस नेत्री अनिता वर्मा और भाजपा नेत्री उर्मिल ठाकुर दो-दो दफा इस विधानसभा क्षेत्र से विधायक रही हैं. वर्तमान में पूर्व मंत्री जगदेव चंद के पुत्र नरेंद्र ठाकुर यहां से भाजपा के टिकट पर विधायक हैं.

2007 से इस सीट पर लगातार जीत रही भाजपा: साल 2007 से भाजपा यहां पर लगातार जीत हासिल कर रही है. इस विधानसभा क्षेत्र से अभी तक किसी निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल नहीं की है. हालांकि 2003 के चुनावों में भाजपा से बागी होकर विधायक नरेंद्र ठाकुर ने अपनी भाभी उर्मिल ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ा था. नरेंद्र ठाकुर 10,290 मत हासिल करने के साथ ही तीसरे स्थान पर रहे थे. भाजपा और परिवार की इस लड़ाई में कांग्रेस फायदे में रही थी और अनिर्ता वर्मा ने 6,865 मतों से जीत हासिल की थीं.

94 बूथ पर 74,795 मतदाताए क्षेत्र की गठजोड़ से बदले समीकरण: हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र (Hamirpur Assembly Constituency) में वर्तमान में 40 पंचायतें और 94 बूथ हैं. रोचक बात यह है कि एक दशक पहले तक इस विधानसभा क्षेत्र की भागौलिक परिस्थितियां बेहद ही अलग थी. हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में साल 2012 तक हमीरपुर और सुजानपुर दोनों शहर शामिल थे. 2012 में विधानसभा क्षेत्रों के डिलिमिटेशन के बाद 86 बूथ वाले हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में आठ और बूथ जुड़ गए हैं. हालांकि अब सुजानपुर शहर इसमें शामिल नहीं है. सुजानपुर नगर परिषद (Sujanpur Municipal Council) अब सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र (Sujanpur Assembly Constituency) का हिस्सा है. निर्वाचन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 74,795 है, जिसमें 37651 पुरुष और 37144 महिला मतदाता शामिल हैं. हालांकि अभी लगातार पात्र मतदाताओं के पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया जारी है. डिलिमिटेशन से हमीरपुर के 53 बूथ में भोरंज के 16 बूथ और बमसन सुजानपुर के 25 बूथ अब इसमें शामिल हैं.

हमीरपुर विधानसभा सीट की ग्राउंड रिपोर्ट.

1972 से 2017 तक के नतीजों पर एक नजर: साल 1972 के चुनाव में हमीरपुर विधानसभा सीट पर जीत का अंतर 1,122 वोट का रहा. इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रमेश चंद वर्मा 7092 मत लेकर विजेता बने. वहीं, भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी जगदेव को 5950 मत मिले. जिसके चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

1977 जीत का मतातंर 2,636: साल 1977 में जीत का अंतर 2,636 वोटों का रहा. इस चुनाव में जनता पार्टी के जगदेव चंद 9,322 मत लेकर विजेता बने. वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी रमेश चंद वर्मा को 6,686 मत प्राप्त हुआ था.

1982 जीत का अंतर 6,614: साल 1982 के चुनाव में जीत का अंतर 6,614 वोटों का रहा. इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार जगदेव चंद 14,471 मत लेकर विजयी हुए थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी बाबू राम को 7,857 मत मिला था.

1985 जीत का अंतर 1,467: साल 1985 के चुनाव में जीत का अंतर 1,467 वोटों का था. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जगदेव चंद 12,753 मत लेकर विजयी हुए थे. वहीं, इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विधि चंद को 11,286 मत प्राप्त हुआ था.

1990 जीत का मतातंर 8,887: साल 1990 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जगदेव चंद 18,554 मत लेकर विजयी हुए थे. वहीं, इस चुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी अनिता वर्मा को 9,667 मत प्राप्त हुआ था. उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.

1993 जीत का मतातंर 1,146: साल 1993 में विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जगदेव चंद 17,559 मत लेकर विजयी हुए थे, जबकि इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अनिता वर्मा को 16,413 मत प्राप्त हुआ था.

1998 जीत का मतातंर 4,190: साल 1998 में विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी उर्मिल ठाकुर 20,577 मत लेकर विजयी हुए थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अनिता वर्मा को 16,4387 मत प्राप्त हुआ था और उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.

2003 जीत का मतातंर 6,865: साल 2003 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अनिता वर्मा ने 20,749 मत लेकर जीत हासिल की थीं. वहीं, भाजपा प्रत्याशी उर्मिल ठाकुर को 16,413 मत प्राप्त हुआ था. इस चुनाव में उर्मिल ठाकुर को हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, इस चुनाव में तिकोने मुकाबले में आजाद नरेंद्र ठाकुर को 10,290 मत मिला था.

2007 जीत का मतातंर 6,961: साल 2007 में विधानसभा चुनाव में जीत का अंतर 6,961 वोटों का था. इस साल विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी उर्मिल ठाकुर को 26,378 मत मिला था और विजयी हुए थे. वहीं, इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अनिता वर्मा को 19,417 मत प्राप्त हुआ था और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

2012 जीत का मतातंर 9,302: साल 2012 में विधानसभा चुनाव में जीत का अंतर 9,302 वोटों का था. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल 25,567 मत लेकर विजयी हुए थे. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर को 16,265 मत प्राप्त हुआ था और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

2017 जीत का अंतर 7,231 वोटों का था: साल 2017 में विधानसभा चुनाव में हमीरपुर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर (BJP candidate Narender Thakur) 25,854 मत लेकर विजयी हुए थे. वहीं, इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप सिंह पठानिया (Congress candidate Kuldeep Singh Pathania) को 18,623 मत मिला था. इस चुनाव में कुलदीप पठानिया को हार का सामना करना पड़ा था.

हमीरपुर विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

महज एक बार हुआ उपचुनाव, कांग्रेस ने मारी थी बाजी: दिसंबर 1993 में भाजपा के दिग्गज नेता जगदेव चंद के निधन के बाद मई 1994 में उपचुनाव हुए. इस उपचुनाव में कांग्रेस नेत्री अनिता वर्मा ने जीत हासिल की और जगदेव चंद के बेटे नरेंद्र ठाकुर को हार का सामना करना पड़ा था. नरेंद्र ठाकुर वर्तमान में हमीरपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं. नरेंद्र ने कांग्रस टिकट पर इस सीट से भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ चुनाव लड़ा था. कांग्रेस टिकट पर तो नरेंद्र ठाकुर चुनाव हार गए, लेकिन 2017 में भाजपा ने उन्हें इस सीट से प्रत्याशी बनाया और जीत हासिल की.

कितना होता है मतदान, क्या रहता है जीत का अंतर: लगातार बढ़ते मतदाताओं की संख्या के बावजूद हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में टर्नआउट 65 से 70 फीसदी के बीच ही रहता है. 2007 में 65 प्रतिशत 2012 में 67 प्रतिशत और साल 2018 में 68 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान (Voting percentage in Hamirpur assembly seat) किया था. यहां पर हार जीत का मतातंर भी पिछले तीन चुनावों में 6 से 9 हजार के बीच में ही रहा है. 75 हजार मतदाताओं वाले हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में इस दफा भी 50 से 55 हजार के लगभग पोलिंग होने की उम्मीद है.

क्या है हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे: हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में बेहतर सेवाएं और नए बस स्टैंड का मुद्दा (Hamirpur Assembly Constituency Issues) चर्चा में रहेगा. शहर में बेहतर पार्क न होना, बिजली की लाइनों का जाल, ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल और बिजली की समस्या चर्चा में रहेगी. हमीरपुर में नए बस स्टैंड का शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने किया था, लेकिन आज तक इसके निर्माण पर एक ईंट नहीं लग पाई. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में सीटी स्कैन आधुनिक मशीन लंबे समय के बाद मिली है. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर चिकित्सा उपकरणों की कमी पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है. आगामी चुनावों में बस स्टैंड और मेडिकल कॉलेज के दोनों ही मसले फिर नेताओं की जुबान पर होंगे.

हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे.

हमीरपुर विधानसभा सीट पर वर्मा और ठाकुर परिवार का रहा है दबदबा: हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के दिग्गज नेता जगदेव चंद के परिवार को खासा प्रभाव 1977 से रहा है. कई दफा विधायक और मंत्री रहे जगदेव चंद के बेटे नरेंद्र ठाकुर वर्तमान में हमीरपुर का विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. पांच दफा जगदेव चंद पहले जनता पार्टी और फिर भाजपा से इस सीट से विधायक रहे. उसके बाद उनकी बहू उर्मिल ठाकुर दो दफा यहां से विधायक रही और अब बेटे नरेंद्र यहां से विधायक हैं. नरेंद्र ठाकुर ने सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के 2014 में हुए उपचुनाव में विधायक राजेंद्र राणा की पत्नी अनिता राणा को मात देकर जीत हासिल की थी.

वहीं, वर्मा परिवार की अगर बात करें तो रमेश चंद वर्मा 1972 में इस सीट कांग्रेस टिकट पर 7092 मत लेकर विजयी हुए थे. उन्होंने भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी जगदेव चंद को 1122 मतों से मात दी थी. स्वर्गीय रमेश चंद वर्मा के पिता स्वर्गीय प्रेम चंद वर्मा हमीरपुर संसदीय क्षेत्र सांसद रहे हैं. रमेश चंद वर्मा के बाद अनिता वर्मा दो दफा हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस टिकट पर विधायक चुनी गई है. दोनों की परिवार वर्तमान में सक्रिय राजनीति में हैं. नरेंद्र ठाकुर भाजपा से विधायक हैं तो वहीं अनिता वर्मा हिमाचल कांग्रेस की उपाध्यक्ष हैं और टिकट की प्रबल दावेदार भी हैं.

टिकट के लिए कई कतार में, निर्दलीय भी मैदान में: हमीरपुर विधासभा में भाजपा-कांग्रेस के साथ ही कई आजाद प्रत्याशी भी मैदान में है. कई भाजपा से जुड़े हैं तो कईं कांग्रेस से हैं. वर्तमान में भाजपा विधायक नरेंद्र ठाकुर प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से पिछली दफा कुलदीप सिंह पठानिया ने चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने वर्मा परिवार को कई दफा यहां पर विश्वास जताया है. ऐसे में अनुभवी चेहरों में पूर्व विधायक अनिता वर्मा और पूर्व विधायक कुलदीप पठानिया के प्रभाव का नकारा नहीं जा सकता है. कांग्रेस से कई नए चेहरे भी मैदान में हैं. डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा और एडवोकेट रोहित शर्मा भी क्षेत्र में पूरी तरह से सक्रिय हैं. इसके अलावा कांग्रेस टिकट से बमसन विधानसभा क्षेत्र में धूमल के खिलाफ चुनाव लड़ चुके सेवानिवृत्त कर्नल विधि चंद लगवाल भी टिकट की मांग कर चुके हैं.

2017 चुनाव में भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर और कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप सिंह पठानिया.

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हिमाचल कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति अध्यक्ष (Himachal Congress election campaign committee chairman) एवं टिकट आवंटन कमेटी के सदस्य सुखविंद्र सिंह सुक्खू के करीबी सुनील शर्मा और नरेश ठाकुर भी चुनाव लड़ने के इच्छुकों की सूची में शामिल हैं. वहीं, भाजपा से हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के प्रदेश समन्वयक नवीन शर्मा और प्रदेश गौ सेवा आयोग सदस्य आशीष शर्मा क्षेत्र में सक्रिय हैं. हालांकि आशीष शर्मा ने टिकट न मिलने की सूरत में आजाद चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं. वहीं, भाजपा समर्थित जिला परिषद हमीरपुर के उपाध्यक्ष नरेश कुमार दर्जी कई दफा टिकट की मांग कर लोगों के बीच जा रहे हैं.

क्या कहते हैं सत्ता पक्ष और विपक्ष: भाजपा विधायक नरेंद्र ठाकुर (BJP MLA from Hamirpur seat Narender Thakur) का कहना है कि विकास एक सतत प्रक्रिया है. वर्तमान सरकार के कार्यालय में विकाय कार्यों में कोई कमी नहीं रखी गई है. नया बस स्टैंड भी जल्द ही बनकर तैयार होगा. बिजली, पानी, सड़क जैसी हर मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने भरसक प्रयास किया गया है. विधानसभा क्षेत्र में सड़क, पानी और बिजली की सुविधा बेहतर हुई है. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर (Medical College Hamirpur) में भी आधुनिक मशीनरी स्थापित की गई है. वर्तमान विधायक का कहना है कि यहां पर डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है.

कांग्रेस का वर्तमान विधायक पर आरोप:कांग्रेस से ताल्लुक रखने वाली पूर्व विधायक अनिता वर्मा का कहना कि भाजपा अपने एक भी चुनावी वादे को धरातल पर नहीं उतार पाई है. विशेषकर वर्तमान सरकार में हमीरपुर जिले की जमकर अनदेखी की गई है. बिजली और पानी की समस्या से दर्जनों पंचायतों के लोग परेशान हैं. शहर में सुंदर पार्क नहीं है और बस स्टैंड का निर्माण अभी तक शुरू नहीं हो सका है.

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Last Updated : Jul 25, 2022, 12:11 PM IST

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